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सिंगापुर: भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद शांति और स्थिरता के लिए ‘‘सबसे बड़ा एकल खतरा’’ बना हुआ है। उन्होंने सभी तरह के आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सिंगापुर की दो दिवसीय यात्रा के दौरान जारी एक संयुक्त बयान में, दोनों देशों ने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘‘किसी भी आधार पर आतंकी कृत्यों को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।’’

चीन पर परोक्ष हमले में, समृद्धि और सुरक्षा के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार दक्षिण चीन सागर में नौवहन और उसके ऊपर उड़ान की स्वतंत्रता के महत्व की पुष्टि की।

भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को अपने द्विपक्षीय संबंधों को ‘‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’’ तक बढ़ाया और सेमीकंडक्टर में सहयोग सहित चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। मोदी सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के आमंत्रण पर यहां आए थे।

बयान में रेखांकित किया गया कि प्रधानमंत्री वोंग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने के लिए सिंगापुर के निरंतर समर्थन की पुष्टि की और मोदी ने 2028-29 कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर उन्हें धन्यवाद दिया।

यह उल्लेख करते हुए कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि ‘‘आतंकवाद शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है’’, उन्होंने सभी तरह के आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकी कृत्यों को किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता।’’

दोनों नेताओं ने वैश्विक आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ने के अपने संकल्प की भी पुष्टि की।

बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने आतंकवाद पर बहुपक्षीय कार्रवाई को फिर से मजबूत करने का आह्वान किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाने के महत्व को दोहराना भी शामिल है।’’

दोनों प्रधानमंत्रियों ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के अनुरूप धनशोधन रोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने संबंधी अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया।

बयान में कहा गया कि समृद्धि और सुरक्षा के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए ‘‘नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा, स्थिरता, संरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा बढ़ावा देने के महत्व की पुष्टि की।’’

इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से 1982 के समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) के अनुसार धमकी या बल के उपयोग के बिना विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का प्रयास करेंगे।

बयान में किसी देश के नाम का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन यह ऐसे समय में आया है जब चीन नियमित रूप से दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद उत्पन्न कर रहा है और इसके अधिकांश हिस्से पर अपना दावा कर रहा है, जबकि फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान जैसे अन्य पड़ोसी इस पर प्रतिदावा कर रहे हैं।

इसमें कहा गया कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल और आसियान में क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों की पुष्टि की।

बयान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की दोनों देशों की प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया गया, जो मुक्त व्यापार और खुले बाजारों को बढ़ावा देती है, और हिंद-प्रशांत आर्थिक समृद्धि ढांचे के लिए भारत तथा सिंगापुर के करीबी सहयोग एवं समर्थन को मान्यता दी गई।

इसमें कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अगले साल राष्ट्रपति थर्मन शणमुगरत्नम की भारत यात्रा को लेकर आशान्वित है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री वोंग को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय पर भारत आने के लिए आमंत्रित किया।’’

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