वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में असली लड़ाई होने वाली है। खासतौर पर यह चुनावी लड़ाई तब शुरू हुई, जब जो बाइडेन ने अपना नाम वापस ले लिया। अभी भी कमला हैरिस के पास राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त समय है। सवाल यह है कि क्या उनमें यह क्षमता है? द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी डोनाल्ड ट्रंप काफी मजबूत कैंडिडेट हैं। खासतौर पर जब से उन पर हमला हुआ है, लोगों का रुझान उनकी तरफ बढ़ गया है। अब कमला हैरिस का सबसे बड़ा काम ट्रंप पर जनमत संग्रह बनाना है। दरअसल, कमला हैरिस के चुनाव मैदान में आने से अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।
अगर चुनाव बाइडेन प्रशासन के रिकॉर्ड और उनकी भूमिका के आधार पर लड़ा जाएगा तो उनके हारने की संभावना है, लेकिन हैरिस को ट्रंप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मतदाताओं को भी संतुष्ट करना होगा। उन्हें बताना होगा कि वह राष्ट्रपति पद के लिए योग्य हैं। बाइडेन को लोगों ने इसलिए इग्नोर किया, क्योंकि उन्हें कई बार लड़खड़ाते हुए देखा गया।
हैरिस को एक तैयार अभियान विरासत में मिली है
अब कमला हैरिस के ऊपर ही डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदें हैं। जो बाइडेन की उपराष्ट्रपति के रूप में उन्हें मुद्रास्फीति, आव्रजन और (रिपब्लिकन की नजर में) अपराध पर रिकॉर्ड से जूझना पड़ रहा है। इसके लिए वह हमेशा से ही वह भाषणों और साक्षात्कारों में संघर्ष करती दिखी हैं।
वहीं, जो बाइडेन के कुछ सहयोगियों ने निजी तौर पर डेमोक्रेट्स को राष्ट्रपति का साथ छोड़ने से रोकने की कोशिश की थी, क्योंकि वह उनकी जगह ले सकती थीं, लेकिन बाइडेन की जिद अलग ही थी। अगर बाइडेन ने पहले ही हार मान ली होती तो पार्टी ओपन प्राइमरी आयोजित कर सकती थी और हैरिस हार सकती थीं। अब ऐसा लग रहा है जैसे एक तैयार अभियान हैरिस को विरासत में मिली है।
जो बाइडेन की उम्र को लेकर काफी मुद्दा उठा था, कमला हैरिस ने केवल 59 वर्ष की होने के कारण इस पर विराम लगा दिया। अब ट्रंप का मुद्दा उनके ऊपर ही लागू हो गया। ट्रंप हमेशा कहते थे कि बाइडेन सबसे उम्र वाले कैंडिडेट हैं। अब ट्रंप कमला हैरिस के सामने ज्यादा उम्रदराज हैं।
अगर ऐसा हुआ तो ट्रंप को हरा सकती हैं कमला हैरिस
लेकिन किस्मत ही उनके लिए काफी नहीं होगी। चुनाव जीतने के लिए कमला हैरिस को राजनीतिक परीक्षणों को भी पास करना होगा। पहला उन विश्वासों को स्पष्ट करना जो उनके राष्ट्रपति पद की नींव होंगे। राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली भारतीय मूल की होने के साथ अश्वेत होने का भी उन्हें फायदा मिल सकता है। हालांकि, उन्हें व्यावहारिक नीतियों का समर्थन करना होगा, जो आम अमेरिकियों के लिए फायदेमंद साबित हो। अगर ऐसा होता है तो वह ट्रंप को हरा सकती हैं।
वहीं, जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद की उपलब्धियों को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रचारित किया जाएगा तो भी कहीं न कहीं इसका चुनाव में फायदा मिल सकता है। कमला हैरिस को मुद्रास्फीति के साथ मतदाताओं के संघर्ष को स्वीकार करना चाहिए। उन्हें महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के लिए बोलना जारी रखना चाहिए, जो एक जीतने वाला मुद्दा है। हिंसा और स्ट्रीट क्राइम से निपटना भी काफी बड़ा मुद्दा है।
कमला हैरिस को ये भी विश्वास दिलाना होगा कि उनका कार्यकाल ट्रंप और जो बाइडेन से भी अच्छा रहने वाला है। लेकिन इन सबके बीच सावधानी भी जरूरी है। हैरिस जल्दबाजी में अभियान चला रही हैं। यदि उनका अभियान गड़बड़ा जाता है तो उनके निर्विरोध नामांकन के बारे में जल्द ही आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाएंगे।