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वाशिंगटन: अमेरिका इराक और सीरिया में ईरान के ठिकानों पर हमला करने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि इन ठिकानों पर अमेरिका का यह हमला कई दिनों तक चल सकता है. हालांकि, इराक और सीरिया में ईरान के ठिकानों पर अमेरिका कब हमला करेगा अभी इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं है। अमेरिका का यह हमला बीते रविवार को जॉर्डन में सीरिया सीमा के नज़दीक अमेरिकी पोस्ट 22 पर हुए हमले का जवाब के तौर पर होगा। उस ड्रोन हमले में 3 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी, जबकि 41 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अमेरिका ने इसके लिए ईरान के समर्थन वाले मिलिशिया गुटों को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया। बाद में इस हमले के पीछे इस्लामिक रेसिस्टेंस का नाम आया जिसे ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स से हथियार और प्रशिक्षण मिलता है।

अमेरिकी पोस्ट पर हमले के बाद ईरान ने जारी किया था बयान

गौरतलब है कि जॉर्डन में अमेरिकी पोस्ट पर हुए इन हमलों के बाद ईरान ने एक बयान जारी किया था। उस बयान में कहा गया था कि इन हमलों के पीछे उनका हाथ नहीं है।

हालांकि, बाद में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी आई कि हमले में उसी तरह के ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जो ईरान रूस को दे रहा है और जिसे रूस यूक्रेन के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में अब एक बड़ा सवाल है कि आख़िर अमेरिका इस मामले में जवाबी कार्रवाई करने में देर क्यों कर रहा है। ये सवाल पूछे जाने पर अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि हमला कैसे करें, कब करें और कहां करें ये तय करने का अधिकार हमारे पास है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कही बड़ी बात

अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस बयान के बाद अब दो बातें सबसे अहम हैं। एक तो हमले की योजना इराक और सीरिया में ऐसे गुटों के ठिकानों को निशाना बनाने की है, जो अमेरिका के मुताबिक़ ईरान की मदद से चलाए जा रहे हैं और इसमें भी मौसम को आधार बना कर देरी की जा रही है। दलील ये दी जा रही है ताकि अमेरिकी हमलों में आम लोगों की मौत न हो।

दूसरा ये कि सीधे ईरान या ईरान के भीतर हमले की कोई मंशा अभी तक अमेरिका ने नहीं दिखाई है। जबकि रिपब्लिकन्स में राष्ट्रपति बाइडन को इस बात के लिए खूब घेरा है और कहा है कि हमला सीधे ईरान के भीतर और ईरान के नेतृत्व पर होना चाहिए। अमेरिका में इसी साल राष्ट्रपति चुनाव है और ऐसे में जो बाइडन पर मज़बूत जवाबी हमले का घरेलू दबाव है। फिर भी वे ईरान पर सीधे हमले की बात नहीं कर रहे हैं।

अगर अमेरिका ऐसा करता है तो फिर मध्य पूर्व में युद्ध की आग बहुत बड़े पैमाने पर भड़क जाएगी। अमेरिका इससे बचना चाह रहा है। इसके पीछे एक वजह से भी है कि यूक्रेन युद्ध के साथ साथ इज़राइल हमास जंग में वो कई मोर्चों पर जूझ रहा है। ईरान के साथ सीधा मोर्चा लेने पर सारे शांति प्रयास तुरंत ख़त्म हो जाएंगे। इसलिए फिलहाल इराक़ और सीरिया में हमले की योजना पर अमेरिका आगे बढ़ रहा है।

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