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नई दिल्ली: भारत के साथ टेंशन बढ़ाने के बाद मालदीव की दोस्ती चीन के साथ बढ़ती जा रही है। इसका नतीजा ये हुआ है कि चीन का रिसर्च जहाज मालदीव की ओर बढ़ रहा है। चीन का रिसर्च जहाज 'जियांग यांग हांग 03' मालदीव की राजधानी माले की ओर बढ़ रहा है। भारतीय नौसेना को इस बारे में मालूम है और वह इस पर करीब से निगरानी कर रही है। ये जहाज उसी तरह का है, जैसा श्रालंका के पास देखा गया था और भारत ने उस पर आपत्ति जताई थी।

नौसेना ने कहा- 'शिप पर है नजर'

सीएनएन-न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा सूत्रों ने बताया है कि भारतीय नौसेना को चीनी रिसर्च जहाज के बारे में मालूम है और वह इसकी आवाजाही पर निगरानी कर रही है।

सूत्रों ने कहा कि अब तक, 'इंडियन एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन' (ईईजेड) के भीतर जहाज के जरिए किसी भी प्रकार की रिसर्च एक्टिविटी को अंजाम देने का कोई मामला सामने नहीं आया है। चीनी रिसर्स जहाज के कुछ हफ्तों में मालदीव पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

मालदीव के साथ भारत की टेंशन

भारत और मालदीव के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण चल रहे हैं। डर इस बात का भी है कि चीन कहीं इसका फायदा नहीं उठा ले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर की गई विवादित टिप्पणी की वजह से रिश्ते काफी तल्ख हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की वजह से भी रिश्ते बिगड़ने लगे हैं, क्योंकि उनकी पहचान चीन समर्थक नेता के तौर पर होती है। चुनाव अभियान के दौरान मोइज्जू ने 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाया था, जिसकी वजह से उनकी सरकार बनी है।

राष्ट्रपति बनने के बाद मोइज्जू ने पहला विदेशी दौरा चीन का ही किया है। हाल ही में मोहम्मद मोइज्जू ने भारत का नाम नहीं लिए बिना कहा था कि किसी को हम पर धौंस जमाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने मालदीव की सुरक्षा में तैनात भारतीय सैनिकों को माले से जाने को भी कह दिया। मालदीव एक ऐसे रणनीतिक लोकेशन पर मौजूद है, जिसकी वजह से भारत की वहां पर मौजूदगी के चलते सुरक्षा खतरा पैदा होता है। चीन भी इस बात को भलीभांति जानता है, तभी वह जहाज भेज रहा है।

श्रीलंका पहले ही दे चुका है चीनी जहाजों को एंट्री

चीन का जहाज ऐसे समय पर मालदीव पहुंच रहा है, जब पिछले साल ही श्रीलंकाई सरकार ने एक चीनी जहाज को द्वीप के पश्चिमी तट पर मरीन रिसर्च करने के लिए इजाजत दी थी। चीनी जहाज ने दो दिनों तक श्रीलंका की निगरानी में रिसर्च किया। उस वक्त जो चीनी जहाज भेजा गया था, उसका नाम 'शी यान 6' था। उसके चीनी जासूसी जहाज होने की बात भी कही गई थी। श्रीलंका पहले भी कोलंबो को मुख्य बंदरगाह पर चीनी जहाज को आने की इजाजत दे चुका है।

भारत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर पहले ही चिंता जता चुका है। श्रीलंका में बढ़ते चीन के प्रभाव को लेकर भारत की चिंता इसलिए भी है, क्योंकि ये द्वीपीय देश काफी करीब मौजूद है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय जहाज के रूट्स भी यहां से होकर गुजरते हैं। व्यापार के लिहाज से ये सबसे प्रमुख समुद्री मार्गों में से एक है। भारत को ये भी डर है कि श्रीलंका में चीन अपना बेस बना सकता है, जिसकी वजह से सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

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