बीजिंग: भारत और मालदीव में भड़के तनाव के बीच चीन ने आग में घी डालने का काम किया है। चीन ने भारत का नाम लिए बगैर कहा है कि अगर किसी देश ने मालदीव के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो वह इसका विरोध करेगा।
मालदीव के साथ खड़ा है चीन
गौरतलब है कि इन दिनों मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने बुधवार (10 जनवरी) को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच पर्यटन सहयोग सहित 20 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। लेकिन इस मुलाकात के बाद भारत को लेकर मालदीव का एक बयान आया, जिसमें कहा गया कि मालदीव अपने देश में चीन विरोधी गतिविधियों को नहीं होने देगा। साथ ही मालदीव एक बेल्ट और रोड की चीन नीति का पालन करेगा।
चीन के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने चीन और मालदीव के बीच जारी संयुक्त बयान के हवाले से कहा कि चीन मालदीव के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप का कड़ाई से विरोध करेगा। साथ ही हमेशा मालदीव के लिए खड़ा रहेगा। इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कहा कि वह पुरजोर तरीके से मालदीव की राष्ट्रीय संप्रभुता और राष्ट्रीय गरिमा को बरकरार रखने के प्रयासों का समर्थन करेगा। हालांकि इस संयुक्त बयान में भारत का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और मालदीव के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है।
शी जिनपिंग ने बताया नई शुरुआत
रिपोर्ट के अनुसार,चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन मालदीव के साथ शासन के अनुभव का आदान-प्रदान करने, विकास रणनीतियों के तालमेल को मजबूत करने, उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट और रोड सहयोग को आगे बढ़ाने और चीन-मालदीव दोस्ती के लिए एक नया मानक स्थापित करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन अधिक मालदीव के छात्रों को चीन में पढ़ने के लिए समर्थन देगा और दोनों देशों के बीच अधिक सीधी उड़ानों को बढ़ावा देगा।