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काठमांडो: नेपाल ने असहयोग के आरोपों और सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपों को लेकर भारत से अपने राजदूत को शुक्रवार को वापस बुला लिया। नेपाल के विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की निर्धारित भारत यात्रा रद्द होने को लेकर राजदूत दीप कुमार उपाध्याय का प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से टकराव हुआ था। खबर है कि राष्ट्रपति की यात्रा रद्द होने के बाद ओली और उपाध्याय के बीच बातचीत हुई थी। सूत्रों ने बताया कि नेपाली कैबिनेट ने उपाध्याय को प्रधानमंत्री से उनकी संक्षिप्त वार्ता के बाद वापस बुलाने का फैसला किया था। भंडारी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आमंत्रण पर राजकीय अतिथि के रूप में भारत आना था। उनकी यात्रा नौ मई से शुरू होनी थी। उन्हें उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ मेले में 14 मई को ‘शाही स्नान’ में भी शामिल होना था। इससे पहले नई दिल्ली में सरकारी सूत्रों ने कहा, ‘हमें पता चला है कि नेपाल की तरफ से नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की भारत यात्रा स्थगित कर दी गई है। हमारा मानना है कि यह नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रमों की वजह से हुआ है।’

विपक्षी नेपाली कांग्रेस के नेता उपाध्याय को पिछले साल अप्रैल में भारत में नेपाल का दूत नियुक्त किया गया था। उन पर सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। काठमांडो पोस्ट ने खबर दी है कि उपाध्याय पर विदेश मंत्रालय को सूचित किए बिना भारतीय दूत रंजीत राय के साथ दक्षिणी नेपाल के मधेस जिलों का दौरा करने का भी आरोप है। नेपाली राजनयिक पर ओली सरकार को अपदस्थ करने के प्रयास में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है। प्रधानमंत्री ओली की सरकार कल उस समय खतरे से बची जब प्रचंड के नेतृत्व वाले माओवादियों ने यू-टर्न ले लिया और फैसला किया कि वे ‘कुछ समय तक’ समर्थन वापस नहीं लेंगे।

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