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इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक आतंकरोधी अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उपस्थित होने से मुशर्रफ को अस्थाई छूट देने से इंकार कर दिया। अदालत ने उनकी छह अप्रैल की चिकित्सा रपट को भी फर्जी बताया। पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट के अनुसार, न्यायाधीशों को नजरबंद किए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व सैन्य शासक की चिकित्सा रपट के बारे में अदालत ने यह निर्णय दिया। मुशर्रफ के वकील अख्तर शाह ने चिकित्सा रपट के साथ सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने से अस्थाई छूट देने की अर्जी पेश की थी। लेकिन अदालत ने दोनों को खारिज कर दिया और उनके गैर जमानती वारंट को बरकरार रखा। न्यायाधीश ने इस पर गौर किया कि मुशर्रफ ने मार्च महीने में देश छोड़ा, लेकिन चिकित्सा रपट अप्रैल महीने की पेश की गई है। मुशर्रफ के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल अदालत में हाजिर हो सकते हैं, बशर्ते कि उनका चिकित्सक अनुमति दे और सरकार उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करे। विदित हो कि मुशर्रफ विगत डेढ़ साल से अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे हैं।

इस्लामाबाद पुलिस ने पूर्व सेना प्रमुख के संबंध में अपनी रपट में कहा है कि मुशर्रफ विगत मार्च महीने से दुबई में हैं, इसलिए गैर जमानती वारंट तामील नहीं हो सका है। अदालत ने इस्लामाबाद पुलिस को मुशर्रफ का पता लगाने और अगली सुनवाई की तिथि 20 मई को उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश दिया। मुशर्रफ पर अब्दुल राशिद की हत्या का मुकदमा, बेनजीर भुप्तो की हत्या का मुकदमा और राजद्रोह का मुकदमा सहित कई मुकदमे चल रहे हैं। विगत 18 मार्च को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने बहिर्गमन नियंत्रण सूची से उनका नाम हटाने की अधिसूचना जारी की। अधिसूचना जारी होने के कुछ ही घंटों के बाद मुशर्रफ दुबई के लिए रवाना हो गए। मुकदमे की औपचारिक सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि अदालत की इजाजत लिए बिना मुशर्रफ ने देश छोड़ दिया। मुशर्रफ ने तीन नवंबर, 2007 को देश में आपातकाल घोषित करने के तुरंत बाद शीर्ष अदालत के 60 न्यायाधीशों को उनके आवासों में नजरबंद किया और पांच महीने तक वहां कैद रखा। पुलिस ने 11 अगस्त, 2009 को इस आशय की शिकायत मिलने पर मुशर्रफ के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आतंकरोधी अदालत ने 11 सितम्बर, 2015 को सुनवाई के दौरान स्थाई रूप से उपस्थित होने से छूट देने वाली मुशर्रफ की याचिका खारिज कर दी थी और उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था।

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