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नई दिल्ली: भाजपा ने असम में विधानसभा चुनाव असम गण परिषद (एजीपी) के साथ मिलकर लड़ने की औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि इस अहम पूर्वोत्तर राज्य में इस बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला एक तरफ उसकी अगुवाई में सभी मूल लोगों तथा दूसरी तरफ कांग्रेस और यूडीएफ के बीच होगा। दो बार अपने बलबूते पर राज्य में शासन करने वाली एजीपी कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका निभाएगी तथा 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी 126 सीटें भाजपा और गठबंधन के अन्य तीन छोटे दलों के बीच बंटेंगी। भाजपा इस गठबंधन की अगुवाई करेगी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की और कहा कि तरुण गोगोई की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की मिलीभगत और उसके संरक्षण में राज्य में बड़े पैमाने पर घुसपैठ मुख्य चुनावी मुद्दा होगा तथा भ्रष्टाचार एवं विकासहीन शासन से राज्य की मुक्ति अन्य प्रमुख मुद्दों शामिल होंगे।

भाजपा स्थानीय जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो अन्य संगठनों के अलावा बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के साथ पहले ही गठजोड़ कर चुकी है। बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। सू़त्रों ने बताया कि अब काफी कमजोर पड़ चुकी लेकिन फिर भी कुछ प्रभाव रखने वाली एजीपी के साथ गठजोड़ भाजपा को राज्य में हिंदू वोटों को एकजुट करने में मदद पहुंचाएगा। असम में 30 फीसदी से अधिक मुसलमान हैं और वे यूडीएफ एवं कांग्रेस का समर्थन करते हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा (राज्य में) सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। एजीपी नेताओं ने इस गठबंधन के होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट की। भाजपा नीत गठबंधन न्यूनतम साझा कार्यक्रम जारी करेगा। भाजपा नेता और राज्य में पार्टी की चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक हिमंत विश्व शर्मा ने कहा, ‘‘सभी मूल और हमारे लोग एक तरफ हैं तथा कांग्रेस के आशीर्वाद से यूडीएफ दूसरी ओर।’’ बदरूद्दीन अजमल की अगुवाई वाला यूडीएफ राज्य में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है और उसे मुसलमानों का समर्थन प्राप्त है। केंद्रीय मंत्री और असम में इस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सर्वानंद सोनोवाल, एजीपी प्रमुख अतुल बोरा, भाजपा महासचिव राममाधव भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। नेताओं ने कहा कि यदि यह गठबंधन सत्ता में आता है तो असम समझौता, जिसके तहत प्रवासियों की पहचान और उनका प्रत्यर्पण किया जाना है, उसकी प्राथमिकता होगी। बोरा ने कहा कि पिछली एजीपी सरकारें इसे लागू करने में विफल रहीं लेकिन केंद्र में भाजपा के सत्ता में होने के कारण वह इस बार ऐसा कर पाएगी। भाजपा ने इसे लागू करने में पूरा सहयोग करने का वादा किया है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शर्मा ने कहा कि राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षरित इस समझौते पर कांग्रेस कटिबद्ध थी लेकिन राहुल गांधी ने लक्ष्य बदल दिया।

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