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गुवाहाटी: असम विधानसभा में शुक्रवार को बुजुर्ग लोगों से जुड़ा एक बेहद अहम बिल पास किया गया है। इस बिल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों के लिए ये जरूरी होगा कि वो अपने माता-पिता और दिव्यांग भाई-बहनों की सही तरीके से देखभाल करें। बिल के मुताबित अगर किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार उसके वेतन में से हर महीने एक तय रकम काट लेगी। काटा हुआ पैसा उस कर्मचारी के माता-पिता या दिव्यांग भाई-बहनों पर खर्च किया जाएगा। खास बात ये है कि असम देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां इस तरह का कानून बनाया गया है। इस कानून पर शुक्रवार को विधानसभा में चर्चा हुई और इस दौरान राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार को ये मंजूर नहीं कि कोई भी शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़कर जाए। ठीक इसी तरह दिव्यांग भाई-बहनों के मामले में भी हम यही चाहते हैं। शर्मा के मुताबिक, शुरुआत में इस कानून के दायरे में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को रखा गया है। लेकिन जल्द ही प्राईवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

अब इसके साथ ही असम सरकार के कर्मचारियों को डीटेल में अपने पैरेंट्स और दिव्यांग भाई-बहनों की जानकारी डिपार्टमेंट को देनी होगी। बता दें कि असम सरकार ने बजट सेशन में इस तरह का बिल लाने का वादा किया था।

सरकार ने उस वक्त सहा था कि राज्य के कई वृद्धाश्रमों से शिकायतें मिल रही हैं कि अच्छी नौकरी पाने वाले सरकारी कर्मचारियों ने भी अपने माता पिता को वहां छोड़ रखा है। इसके बाद सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था कि उनकी सरकार इस मसले को गंभीरता से ले रही है और इस को दूर करने के लिए कानून बनाया जाएगा।

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