लखनऊ: समाजवादी पार्टी का झगड़ा अब अपने चरम पर पहुंच गया है। मुलायम सिंह यादव ने आज (सोमवार) यहाँ पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अखिलेश यादव उनकी नहीं सुन रहे हैं। मुलायम ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा, 'अखिलेश यादव को मैंने तीन बार बुलाया, लेकिन आए और बिना मेरी बात सुने चले गए।' सूबे की सियासत और समाजवादी पार्टी के कोर वोट को खराब करने के मंसूबे के साथ मुलायम ने अखिलेश पर हमला किया। उन्होंने कहा, 'अखिलेश ने मुसलमानों की अनदेखी की है ये बात मुझे मौलाना ने बताई। हमने मुस्लिम डीजीपी की वकालत की और उससे भी अखिलेश खुश नहीं थे।' साइकिल पर जारी झगड़े पर मुलायम सिंह ने कहा, 'कई कार्यकर्ता मेरे पास रोए कि चिन्ह बचा लीजिए और पार्टी बचा लीजिए। मैं चुनाव आयोग से अपनी गुजारीश कर चुका हूं। उन्होंने आगे कहा, 'यदि हमें 'साइकिल' नहीं मिलेगी तो किसी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ेंगे। आप लोग सहयोग करें और पार्टी की सरकार बनाइए। सपा मुख्यालय जाने से पहले मुलायम सिंह यादव शिवपाल के आवास पहुंचे उसके बाद अकेले मुलायम सिंह यादव सपा मुख्यालय गए शिवपाल साथ में नहीं गए हैं।' मुलायम सिंह यादव ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जारी की अपनी प्रत्याशी सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। यूपी में लगभग 19 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं।
मुलायम ने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं कि उनके बेटे को 'मुस्लिमों को चारा बनाने वाले' के रूप में देखा जा रहा है। इसी महीने की शुरुआत में हुई एक पार्टी बैठक के दौरान पुत्र अखिलेश यादव द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिए गए मुलायम सिंह यादव ने अपने चचेरे भाई रामगोपाल यादव पर 'पार्टी को नष्ट करने' का एक बार फिर आरोप लगाया। गौरतलब है कि अखिलेश यादव के अपने पिता मुलायम और अन्य चाचा शिवपाल यादव के खिलाफ किए गए विद्रोह के पीछे रामगोपाल यादव ही रहे हैं, और मुलायम-शिवपाल उन पर मुख्यमंत्री को 'गुमराह' करने का आरोप लगाते रहे हैं। माना जा रहा है कि चुनाव चिह्न को लेकर फैसला हो जाने के बाद अखिलेश यादव कांग्रेस तथा अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) जैसी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव ने किसी भी पार्टी के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन से इंकार किया था। समाजवादी पार्टी में चुनाव चिह्न साइकिल को लेकर मचा घमासान आज समाप्त हो सकता है क्योंकि चुनाव आयोग अपना फैसला सुना सकता है। अखिलेश और मुलायम गुट की नजर दिल्ली पर टिकी हुई है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। साइकिल किसकी होगी? चुनाव आयोग आज शाम तक इसपर अपना फैसला सुना सकता है।