लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): अंदरूनी सत्तासंघर्ष और गतिरोध के दौर से गुजर रही समाजवादी पार्टी (सपा) में सुलह-समझौता अब भी दुरूह बना हुआ है। मुलायम सिंह यादव से आज (शुक्रवार) कई दौर की मुलाकात कर चुके शिवपाल सिंह यादव पार्टी में अपने प्रतिद्वंद्वी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात करने उनके आवास पर पहुंचे। पार्टी में सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम सिंह यादव को लेकर बात नहीं बन पा रही है। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश चाहते हैं कि सिर्फ 3 महीने के लिए अध्यक्ष पद उनके पास रहे, फिर मुलायम को दे दिया जाए। क्योंकि उन्हें डर है कि अमर सिंह से प्रभावित होकर वह कुछ ऐसे निर्णय न ले लें, जिससे पार्टी और उनका नुकसान हो जाए। उधर, शिवपाल यादव राज्य की राजनीति और अपनी सीट (जसवंत नगर) छोड़ने को तैयार हो गए हैं। साथ ही अमर सिंह भी पार्टी की कलह सुलझाने के लिए पार्टी छोड़ने को तैयार हैं। खैर सुलह को लेकर आज मुलायम सिंह यादव के घर बैठक हुई। मुलायम से मिलने शिवपाल यादव और अमर सिंह पहुंचे। इससे पूर्व शिवपाल यादव आज अखिलेश यादव से भी मिले थे। वहीं आजम खान की कोशिशें भी जारी हैं। वह इस बीच मुलायम और अखिलेश से लगातार फोन पर बातचीत करते रहे। यही नहीं मुलायम आज प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाले थे लेकिन आजम खान से बातचीत के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी।वहीँ रामगोपाल यादव ने नई दिल्ली में कहा कि चुनाव आयोग ने उन लोगों को 9 जनवरी तक शपथ पत्र जमा कराने को कहा है।
समर्थक विधायकों, सांसदों और विधान परिषद सदस्यों के शपथ पत्र आज जमा करा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 229 में से 212 विधायकों, 68 में से 56 विधान परिषद सदस्यों और 24 में से 15 सांसदों ने अखिलेश को समर्थन देने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। रामगोपाल ने कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है। चुनाव चिह्न साइकिल इसी खेमे को मिलनी चाहिए। गौरतबलब है कि चुनाव चिह्न साइकिल पर दावेदारी के लिए मुलायम और अखिलेश खेमा चुनाव आयोग के कार्यालय गया था, जिस पर आयोग ने दोनों खेमों को 9 जनवरी तक समर्थक विधायकों की सूची शपथ पत्र के माध्यम के जरिए जमा कराने को कहा था। इससे पहले गुरुवार को दिनभर गहमागहमी के बाद शाम होते-होते दोनों पक्षों के रुख में नरमी दिखाई दी। आज़म खान भी लगातार दोनों गुटों के बीच सुलह की कोशिश में जुटे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि सुलह की कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए दोनों ही पक्ष पीछे हटने को तैयार हैं। अखिलेश खेमा टिकटों को लेकर रियायत देने को तैयार है लेकिन रामगोपाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की शिवपाल खेमे की मांग पर बात बनती नहीं दिख रही। दबाव बढ़ने पर यह मांग छोड़ी भी जा सकती है। सपा में कलह की वजह बताए जा रहे अमर सिंह सभी पदों से इस्तीफा दे सकते हैं। बता दें कि अमर पहले भी कह चुके थे कि अगर मेरे पीछे हटने से सुलह होती है तो मैं तैयार हूं। अमर सिंह मुलायम के साथ दिल्ली से गुरुवार को लखनऊ आए हैं। आज सुबह भी उन्होंने मुलायम सिंह से मुलाकात की थी। इस्तीफे की खबर के बाद वह फिर से मुलायम सिंह से मिलने उनके घर पहुंचे। एक जनवरी को अखिलेश ने पार्टी अध्यक्ष बनते ही अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। तब अमर सिंह लंदन में थे। सोमवार की सुबह की वह दिल्ली पहुंचे। अपने निकाले जाने से जुड़े सवाल पर अमर सिंह ने कहा कि यदि वह विलेन हैं तो विलेन बनने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, अगर मुलायम सिंह जी अपने दिल से मुझे निष्कासित कर दें, तो मेरे लिए खेद का विषय है और दल का मेरे लिए महत्व नहीं है। इससे पहले अमर सिंह ने कहा था कि बार-बार उन्हें विलेन कहना ठीक नहीं है। अमर सिंह ने कहा था कि कुछ लोग समाजवादी पार्टी में कलह के लिए मुझे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा था, कुछ लोग समाजवादी पार्टी में कलह के लिए मुझे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कुछ लोग मुझे इतना ताकतवर बता रहे हैं कि मैं दुनिया के किसी कोने में रहूं, उथल-पुथल कर सकता हूं।' उन्होंने कहा कि मुझे जीने दें और अगर मैं इसका कारण बताया जा रहा हूं तो वो(मुलायम) मेरा बलिदान कर दें। मुझे छुट्टी दें। वहीं विवाद निपटाने के लिए हो रही तरह-तरह की कवायद के बीच शिवपाल यादव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने उनके सरकारी आवास गए थे। हालांकि मुलाकात ज्यादा लंबी नहीं चली, शिवपाल उनसे मिलकर 20 मिनट में ही निकल गए। बता दें कि गुरुवार को विधायकों से बातचीत में सीएम ने कहा, मैं चाहता था कि मिलकर चुनाव लड़ें। हमने कहा था, तीन महीने हमें फैसले करने दो। हम चुनाव जिताकर दे देंगे। फिर चाहे सारे पद ले लेना, हम खुद हट जाएंगे। देर शाम सपा के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। दिल्ली, लखनऊ, इटावा में कई बैंकों की शाखाओं में सपा के लगभग 500 करोड़ रुपये जमा हैं। इन बैंकों से फिलहाल कोई लेन-दने नहीं हो सकेगा। सूत्रों के अनुसार, अखिलेश यादव धड़े के एक बड़े नेता के पत्र के बाद बैंकों ने यह कार्रवाई की। इसे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।