चेन्नई: कक्षा छह की परीक्षा में दलितों के अछूत होने संबंधी एक प्रश्न को लेकर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है। यह प्रश्न पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। इसे केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) स्कूलों में से एक का बताया जा रहा है। हालांकि केवीएस ने पेपर को फर्जी करार दिया है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि स्कूलों के आंतरिक परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।
डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने एक ट्वीट किया कि यह बहुत ही चौंकाने वाला है। केंद्रीय विद्यालय की कक्षा की परीक्षा में जाति से संबंधित ऐसे सवाल पूछे गए हैं जो जातिवाद के अलावा सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। इस प्रश्न पत्र को तैयार करने वाले के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने अपने ट्वीट को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी टैग किया।
दरअसल, बहु विकल्पीय प्रश्न में पूछा गया था कि दलित शब्द का मतलब क्या है? इसके उत्तर में विकल्प दिए गए थे, विदेशी, अछूत, उच्च वर्ग और मध्य वर्ग। एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने बयान जारी कर कहा कि वह इसकी कड़ी निंदा करते हैं। सीबीएसई ने बिना सोचे समझे कि इस संवेदनशील मुद्दे का बच्चों पर क्या असर पड़ेगा, यह सवाल कैसे पूछा। यह गलत परंपरा है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कहा कि उसने सोशल मीडिया पर वायरल फर्जी प्रश्न पत्र का संज्ञान लिया है। इसे तमिलनाडु या पुडुचेरी के किसी केंद्रीय विद्यालय का बताया जा रहा है। हालांकि अभी तक इसके सुबूत नहीं मिले हैं कि यह केंद्रीय विद्यालय का प्रश्न पत्र है। हमारे आरओ ने रिपोर्ट दी है कि चेन्नई रीजन के 49 में से किसी में भी ऐसा प्रश्न नहीं पूछा गया।
दूसरी ओर, सीबीएसई ने कहा कि वह किसी भी स्कूल के लिए किसी कक्षा के आंतरिक परीक्षा का प्रश्न पत्र तैयार नहीं करता है। वह केवल कक्षा 10 और 12वीं की बोर्ड परीक्षा कराता है। इस प्रश्न पत्र को सीबीएसई से जोड़ा जाना बिल्कुल गलत और निराधार है।