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चेन्नई: नई शिक्षा नीति में तीन भाषा प्रणाली को लेकर केंद्र के प्रस्ताव पर हंगामा मचना शुरू हो गया है। इसे लेकर तमिलनाडु से विरोध की आवाज उठ रही है। वहीं, सरकार का कहना है कि ये सिर्फ एक प्रस्ताव है, इसे लागू नहीं किया गया है। फीडबैक के आधार पर ही इस पर फैसला लिया जाएगा। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट प्रकाश जावडे़कर के मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए तैयार किया गया था। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ये मंत्रालय उत्तराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया है। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट नए मंत्री को शुक्रवार को सौंपा गया था।

तमिलनाडु में विरोध के सुर

डीएमके और मक्कल नीधि मैयम ने विरोध किया है। डीमके के राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा और मक्कल नीधि मैयम नेता कमल हासन ने इसे लेकर विरोध जाहिर किया है। सिवा ने केंद्र सरकार को विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए कहा कि हिंदी को तमिलनाडु में लागू करने की कोशिश कर केंद्र सरकार आग से खेलने का काम कर रही है। सिवा ने कहा कि हिंदी भाषा को तमिलनाडु पर थोपने की कोशिश को यहां के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।

हम यहां के लोगों पर हिंदी भाषा को जबरन लागू करने को रोकने के लिए किसी भी परिणाम का सामना करने के लिए तैयार हैं।

त्रिची एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए सिवा ने कहा कि तमिलनाडु में हिंदी लागू करना सल्फर गोदाम में आग फेंकने जैसा है। यदि वे फिर से हिंदी सीखने पर जोर देते हैं, तो यहां के छात्र और युवा इसे किसी भी कीमत पर रोक देंगे। हिंदी विरोधी आंदोलन 1965 इसका स्पष्ट उदाहरण है। वहीं, कमल ने कहा कि मैंने कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है, मेरी राय में हिंदी भाषा को किसी पर भी थोपा नहीं जाना चाहिए।

सरकार की सफाई

वहीं इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि किसी के ऊपर कोई भाषा थोपने का कोई इरादा नहीं है। हम सभी भाषाओं को प्रमोट करना चाहते हैं। ये एक ड्राफ्ट है जिसे कमेटी ने तैयार किया है। जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए ही फैसला लिया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने तीन भाषाई फॉर्मूले पर कहा कि कमेटी ने मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है। ये कोई नीति नहीं है। लोगों का फीडबैक लिया जाएगा। ये गलतफहमी है कि ये नीति बन गई है। किसी भी राज्य में कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।

चिदंबरम का भाजपा पर निशाना

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी हिंदी भाषा अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि उसका असली चेहरा सामने आने लगा है। उन्होंने ट्वीट किया कि स्कूलों में तीन भाषा फार्मूला का क्या अर्थ है? इसका मतलब है कि वे हिंदी को अनिवार्य विषय बनाएंगे। यदि हिंदी भाषा को अनिवार्य विषय बनाया जाता है तो यह गैर हिंदीभाषियों पर हिंदी को थोपना होगा। 

 

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