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चेन्नई: पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को मद्रास हाईकोर्ट से झटका लगा है। मद्रास हाईकोर्ट ने पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को केंद्रशासित प्रदेश की रोज़मर्रा की गतिविधियों में दखल देने का अधिकार नहीं है। मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि उपराज्यपाल यानी एलजी के पास स्वतंत्र रूप से काम करने का भी अधिकार नहीं है। कांग्रेस विधायक के लक्ष्मीनारायणन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने फैसला दिया कि निर्वाचित सरकार के पास सेवा मामलों पर अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने उपराज्यपाल की शक्तियों पर 2017 में केंद्र द्वारा दो स्पष्टीकरण आदेशों को रद्द कर दिया।

कांग्रेस नेता के वकील गांधीराजन ने कहा, 'अदालत ने कहा है कि वित्त, प्रशासन और सेवा मामलों में, वह (किरण बेदी) स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकती हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद की सलाह पर परामर्श और कार्य कर सकती हैं।' दो साल पहले किरण बेदी द्वारा मांगी गई स्पष्टीकरण के जवाब में अपने दो आदेशों में केंद्र ने कहा था कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्तियां हैं और मंत्रियों की परिषद द्वारा बाध्य नहीं है।

लक्ष्मीनारायण ने उस वक्त अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जब किरण बेदी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी की सरकार के बीच निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में कथित घोटाले में हस्तक्षेप के बाद विवाद बढ़ गया था।

किरण बेदी ने कहा कि वह फैसले से को पढ़ने के बाद ही अपना रुख स्पष्ट करेंगी। उन्होंने कहा कि हम अभी चुनाव अवधि के आदर्श आचार संहिता के दायरे में हैं। जिन फाइलों में उपराज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होती है, जैसे कि सेवा मामलों, पदोन्नति, नियुक्तियों, अनुशासनात्मक मामलों और सहायता में अनुदान के लिए वित्तीय प्रतिबंध, उसे प्रत्येक केस के मेरिट के आधार पर प्राप्त किया जा रहा है और उन्हें मंजूरी दी जा रही है।

बता दें कि विभिन्न प्रशासनिक मामलों को लेकर नारायणसामी का किरण बेदी से कई बार टकराव रहा है। एक बार तो नारायणसामी ने बेदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह उपराज्यपाल पद पर बने रहने की ‘लायक नहीं हैं।' क्योंकि वह सरकार के प्रस्तावों के विपरीत ‘मनमाने निर्णय' कर रही हैं।

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