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चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने कलानिधि मारन के सन टीवी नेटवर्क को लाभ पहुंचाने के लिए कथित तौर पर ‘अवैध’ टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने के मामले में पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन तथा अन्यों को बरी करने के सीबीआई अदालत का आदेश निरस्त कर दिया। जस्टिस जी जयचंद्रन ने इन सभी को आरोप मुक्त करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील को मंजूर करते हुए विशेष अदालत को आरोप तय करने का निर्देश दिया और कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति मिलने की तारीख से एक साल के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी की जाये।

यह मामला उस समय का है जब द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि के रिश्तेदार दयानिधि संप्रग-1 सरकार में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थे। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और चेन्नई में अपने आवासों पर निजी टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किए जिनका सन नेटवर्क के कारोबारी लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया गया। सन ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक अरबपति कारोबारी कलानिधि मारन कई मीडिया हाउस के भी मालिक हैं।

सीबीआई के अनुसार, शहर के बोट क्लब और गोपालपुरम इलाकों में उनके आवासों पर 700 हाई-एंड दूरसंचार लाइनें लगाई गई। जिसके लिए बिल नहीं लिया गया और इससे राजकोष में 1.78 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। निचली अदालत ने 14 मार्च को मारन बंधुओं और अन्य को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता।

मामले में आरोप मुक्त किये गये अन्य आरोपियों में बीएसएनएल के पूर्व महाप्रबंधक के ब्रह्मनाथन, पूर्व उप महाप्रबंधक एम पी वेलुसामी, दयानिधि मारन के निजी सचिव गौतमन और सन टीवी के कुछ अधिकारी शामिल हैं।

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