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जयपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्‍थान के प्रमुख कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की मांग की है। उन्‍होंने सोमवार को यहां एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में आरोप लगाया कि भाजपा के राज्‍यों में किसानों पर हमला हो रहा है। लखीमपुर मामले का जिक्र करते हुए सचिन पायलट ने कहा, 'जिस मुद्दे पर मैं बात करने आया हूँ, उस पर बात करने से पहले कल की घटना पर बात करना चाहता हूं। लखीमपुर खीरी में जो हुआ, उस पर बात करूंगा। जो लोग किसान आंदोलन को खत्म नहीं कर पाए, उन पर आक्रमण किए गए। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।

उन्‍होंने कहा, 'क्या वजह है कि भाजपा के राज्यों में किसानों पर हमला हो रहा है। खट्टर जी (हरियाणा के सीएम) ने कल लोगों को उकसाने का काम किया। अगर सत्ता में बैठे लोग ऐसा करेंगे तो यह चिंता की बात है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जब वहां जाना चाहती थीं तो पूरी रात उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महिला के साथ जो व्यवहार किया, उससे उनकी मानसिकता समझ आती है।

उन्होंने कहा,  राज्य की एजेंसी इस पर सही जांच नहीं करेगी। इस पर जुडिशल इनक्‍वायरी कर आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। ' पायलट ने कहा कि पिछले 1 साल से किसानों का प्रदर्शन जारी है। भाजपा को इससे सबक लेना चाहिए। सचिन पायलट ने कहा कि हमने कभी किसान आंदोलन पर राजनीति नहीं की। हम किसानों के साथ खड़े हैं। दूसरी ओर, पुलिस ने प्रियंका गांधी के साथ जो बर्ताव किया, वह हमने देखा। भाजपा सरकार डर गई है। उत्तर प्रदेश सरकार कानून को नहीं मानती है। उन्‍होंने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि किसान आगे बढ़ें, उम्मीद है कि सरकार माफी मांगेगी और लोगों को न्याय दिया जाएगा।

मुद्रा पोर्ट पर भारी मात्रा में बरामद हुई ड्रग्‍स को लेकर भी पायलट ने बात की। उन्‍होंने कहा कि पिछले कुछ दिनो में एक बहुत बड़ा हादसा हुआ। मुद्रा पोर्ट पर 21 हज़ार करोड़ के ड्रग्स बरामद किए गए। सूचना मिलती है कि विशाखापटनम की कंपनी ने इसका आर्डर दिया था। यदि ऐसा है तो इसे गुजरात के पोर्ट पर क्यों उतारा गया, चेन्नई पोर्ट पर क्यों नहीं? नौजवान पीढ़ी को नशे की तरफ धकेलने का काम शुरू है, इसलिए हमने इसकी जाँच की मांग की है। हमारा मानना है कि इससे पहले भी करोड़ों के ड्रग्स यहाँ से कई जगह सप्लाई किए गए हैं। गुजरात और केंद्र सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। पायलट ने कहा कि हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूद जज इसकी जांच करें।

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