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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ रविवार को पद से मुक्त हो जाएंगे। लेकिन 9 और 10 तारीख को शनिवार व रविवार को कोर्ट की छुट्टी रहेगी। इसलिए, उनके सम्मान में विदाई समारोह आज ही आयोजित किया गया। सुप्रीम कोर्ट में आज उनका अंतिम कार्य दिवस है। 10 नवंबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना उनका स्थान लेंगे। वह देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। 13 मई 2016 को उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया था।

विदाई समारोह में सीजेआई बोले- "हम सब यात्रियों की तरह, कुछ समय के लिए आते हैं"

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विदाई समारोह के मौके पर भावुक होते हुए कहा, 'रात को मैं सोच रहा था कि दोपहर दो बजे कोर्ट खाली होगा और मैं स्क्रीन पर खुद को देख रहा होउंगा। आप सभी की मौजूदगी से मैं अभिभूत हूं।' सीजेआई ने कहा, 'जब मैं छोटा था, तो सुप्रीम कोर्ट में आकर यहां की कार्यवाही और कोर्ट में लगी दो तस्वीरों को देखता था।

उन्होंने कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी न्यायमूर्ति चागला का बहुत प्रभाव था।'

उन्होंने आगे कहा, 'हम सभी यहां यात्रियों की तरह हैं, जो कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और फिर चले जाते हैं। कोर्ट के रूप में यह संस्थान हमेशा चलता रहेगा और इसमें विभिन्न विचारों वाले लोग आते रहेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे बाद न्यायमूर्ति खन्ना इस संस्थान को मजबूती और गरिमा के साथ आगे बढ़ाएंगे।'

'जीवन को नया दृष्टिकोण देते हैं नए लोग'

सीजेआई ने यह भी बताया कि वह न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के साथ बैठकर काम करने के अनुभव को बहुत याद करेंगे। उन्होंने कहा, 'यही कोर्ट है, जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिन्हें हम नहीं जानते थे और ये अनुभव जीवन को एक नया दृष्टिकोण देते हैं।'

'किसी को कोई तकलीफ पहुंची हो तो माफी चाहता हूं....'

उन्होंने आगे कहा, 'मैं आज बहुत कुछ सीखा हूं। कोई भी मामला पहले के मामले जैसा नहीं होता। अगर कोर्ट में किसी कोई तकलीफ पहुंची हो तो मैं विनम्रतापूर्व माफी चाहता हूं। अंत में धन्यवाद देते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, आप सभी का दिल से धन्यवाद, आप इतनी बड़ी संख्या में यहां आए। इसके लिए मैं सदा कृतज्ञ रहूंगा।'

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