मुंबई (जनादेश ब्यूरो): भारत और चीन के बीच सरहद पर डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनने के बाद विदेश मंत्रालय एस. जयशंकर ने आसान भाषा में सीमा पर चीन के मुद्दे को समझाया। उन्होंने बताया कि लद्दाख में चीन सेना पीछे चली गई है। इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत ने घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है। चार साल से ज्यादा वक्त से पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध को खत्म करने की दिशा में यह एक बड़ी सफलता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार (27 अक्टूबर) को कहा कि लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों का पीछे हटना पहला कदम है और उम्मीद है कि भारत 2020 की गश्त की स्थिति में वापस आ जाएगा। विदेश मंत्री ने साफ तौर से चीन का जिक्र करते हुए कहा कि अगला कदम तनाव कम करना है, जो तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन नहीं हो जाता कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है। मुंबई में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि देपसांग और डेमचोक में गश्त करने और पीछे हटने पर आम सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा, "यह जाहिर है कि इसे लागू करने में समय लगेगा। यह पीछे हटने और गश्त का मुद्दा है, जिसका मतलब है कि हमारी सेनाएं एक-दूसरे के बहुत करीब आ गई थीं और अब वे अपने ठिकानों पर वापस चली गई हैं। हमें उम्मीद है कि 2020 वाली स्थिति बहाल हो जाएगी।"
'इत्मिनान से सोचेंगे कैसे किया जाए सीमा का प्रबंधन'
विदेश मंत्री ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करना पहला कदम है। अगला कदम तनाव कम करना है, जो तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन न हो जाए कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है। उन्होंने कहा, "तनाव कम होने के बाद सीमाओं का प्रबंधन कैसे किया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी।"