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पणजी: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जनता की अदालत के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका बनाए रखी जानी चाहिए, लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए। कानूनी सिद्धांत की असंगति या त्रुटि के लिए कोई व्यक्ति न्यायालय की आलोचना कर सकता है। हालांकि, परिणामों के संदर्भ में उसकी भूमिका को नहीं देखा जाना चाहिए। 

विपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकते

दक्षिण गोवा जिले में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जब समाज समृद्ध और संपन्न होता है तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी-बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए, लेकिन हमारी अदालत ऐसी नहीं है। अब, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएं।

उन्होंने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए अदालत की आलोचना करना उचित है, लेकिन परिणामों के परिप्रेक्ष्य से उसकी भूमिका या कार्य को नहीं देखा जा सकता।

चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे लगता है, विशेष रूप से आज के समय में, उन लोगों के बीच एक बड़ा विभाजन है जो सोचते हैं कि जब आप उनके पक्ष में निर्णय देते हैं तो सुप्रीम कोर्ट एक अद्भुत संस्था है, और जब आप उनके खिलाफ निर्णय देते हैं तो यह एक ऐसी संस्था है जो बदनाम है।

फैसले के आधार पर नहीं देख सकते

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि आप परिणामों के परिप्रेक्ष्य से शीर्ष न्यायालय की भूमिका या उसके काम को नहीं देख सकते हैं। व्यक्तिगत मामलों का नतीजा आपके पक्ष में या आपके खिलाफ हो सकता है। जजों को मामला-दर-मामला आधार पर स्वतंत्रता की भावना के साथ निर्णय लेने का अधिकार है।

जनता की अदालत की भूमिका

अपने संबोधन में सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जनता की अदालत वाली भूमिका संरक्षित रखी जानी चाहिए लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए अदालत की आलोचना करना उचित है, लेकिन परिणामों के परिप्रेक्ष्य से उसकी भूमिका या कार्य को नहीं देखा जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट की न्याय तक पहुंच का प्रतिमान पिछले 75 वर्षों में विकसित हुआ है और कुछ ऐसा है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब समाज बढ़ता है समृद्ध और संपन्न होता है, तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी-बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए। हमारा कोर्ट ऐसा नहीं है। हमारा कोर्ट जनता की अदालत है और मुझे लगता है कि लोगों की अदालत के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को भविष्य के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए।

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