नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): उत्तर प्रदेश विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव की तारीख का एलान हो गया है। वहीं अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की गयी है। यहां 13 नवंबर को मतदान होगा, जबकि वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। इस उपचुनाव को यूपी में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है।
मिल्कीपुर का टला उपचुनाव
हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से मिल्कीपुर में उपचुनाव की तारीख का एलान नहीं किया गया है। पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 आम चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है। 2022 विधानसभा चुनाव में हारने के बाद गोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद के चुनाव जीतने को लेकर याचिका दायर की थी। जो अभी अदालत में लंबित है।
यूपी में विधानसभा चुनाव साल 2027 की शुरूआत में होने हैं। पिछले दो चुनावों से लगातार बीजेपी जीत रही है। चौदह सालों के वनवास के बाद 2017 में यूपी में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी
बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। तब से अब तक यूपी के राजनैतिक हालात बहुत बदल गए हैं। मायावती की पार्टी बीएसपी दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है। यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपने जाटव वोट बैंक को बचाने की है। आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद दलित नौजवानों में लोकप्रिय होते जा रहे हैं।
यूपी में बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर
यूपी में विधानसभा के उप चुनाव में इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन में सीधी टक्कर है। मोटे तौर पर देखें तो चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी में है। अखिलेश यादव ने तो विधानसभा की छह सीटों पर उम्मीदवार भी तय कर दिए हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस से जल्द ही सीटों के बंटवारे पर बातचीत शुरू हो सकती है, लेकिन इसमें पेंच महाराष्ट्र का भी है।
समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में कम से कम 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में है। अभी महाराष्ट्र में पार्टी के दो विधायक हैं. इसी हफ्ते यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव महाराष्ट्र का दौरा करने वाले हैं। वे 18 अक्टूबर को मालेगांव में रहेंगे। जबकि अगले दिन वे धुले का दौरा करेंगे। अब इसे संयोग कहिए या फिर प्रयोग इन दोनों सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के विधायक हैं। अखिलेश यादव और ओवैसी का रिश्ता हमेशा से छत्तीस का रहा है। अखिलेश को लगता है कि एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों में बंटवारा करती है। ओवैसी का आरोप रहा है कि समाजवादी पार्टी में मुसलमान नेताओं को सिर्फ दरी बिछाने का काम मिलता है।
हरियाणा में अखिलेश नहीं लड़े थे चुनाव
समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र चुनाव को लेकर गंभीर है। अखिलेश यादव पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार चाहते हैं। इसीलिए जहां-जहां चुनाव होते हैं, पार्टी वहां पहुंच रही है। जम्मू कश्मीर में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। अखिलेश यादव वहां प्रचार करने भी नहीं गए थे। उनकी पार्टी हरियाणा में भी दो सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थी, लेकिन कांग्रेस या फिर यूं कहें कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसके लिए तैयार नहीं हुए। फिर भी अखिलेश यादव ने कांग्रेस के समर्थन में हरियाणा में चुनाव न लड़ने का फैसला किया, लेकिन महाराष्ट्र को लेकर वे कांग्रेस को अब और रियायत देने के मूड में नहीं हैं।
एक हाथ दो, दूसरे हाथ लो का सिद्धांत
कांग्रेस के लिए अखिलेश यादव के पास बस एक ही मैसेज है। महाराष्ट्र में दो और यूपी में लो। फार्मूला है कि ताली दोनों हाथ से बजती है। अगर महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिली तो फिर यूपी में कांग्रेस का मान रह जाएगा। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय कई मंचों से विधानसभा की 10 में से 5 सीटें मांग चुके हैं, लेकिन अखिलेश यादव कांग्रेस के लिए बस दो सीटें छोड़ सकते हैं, वैसे उनके कई करीबी नेता बस गाजियाबाद सीट देने की बात कर रहे हैं। अगर महाराष्ट्र में अखिलेश यादव को मन माफिक सीटें मिली तो कांग्रेस के खाते में तीन सीटें भी जा सकती है। ये सीटें हैं- गाजियाबाद, खैर और मीरापुर। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की दोस्ती एक हाथ दो और दूसरे हाथ लो के सिद्धांत पर टिकी है।