नई दिल्ली: नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सत्र का उद्घाटन किया। आपको बता दें कि भारत में पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक का आयोजन किया गया है। भारत मंडपम में यह सत्र 21 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा। इसमें 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
विश्व का भारत के प्रति नजरिया बदला है: गजेंद्र शेखावत
इस दौरान केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विश्व धरोहर समिति की बैठक में आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। शेखावत ने कहा कि पीएम मोदी ने इस सम्मेलन में आकर समारोह की गरिमा को बनाए रखने का काम किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘पीएम मोदी के नेतृत्व में बीते वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान भारत पर केंद्रित हो गया था। इससे विश्व का भारत के प्रति नजरिया बदला है। इस सम्मेलन में आधुनिक ज्ञान और विज्ञान में भारत के कौशल का प्रदर्शन होगा।
उन्होंने कहा, इसके साथ साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली इतिहास से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों और उनके रख-रखाव से जुड़े भारत सरकार के गंभीर प्रयासों को भी विश्व पटल पर दर्शाने में सफलता प्राप्त होगी। भारत अपनी सांस्कृतिक विविधताओं के लिए विश्व भर में अलग स्थान रखता है।’
पीएम मोदी ने यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजोले का आभार जताया
विश्व धरोहर समिति की बैठक का अद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज भारत गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व मना रहा है। मैं सभी देशवासियोx को अध्यात्म के इस वर्व की बधाई देता हूं। ऐसे अहम दिन आज विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की शुरुआत हो रही है। भारत में यह आयोजन पहली बार हो रहा है। स्वाभाविक है कि मेरे सहित सभी देशवासियों को इसकी विशेष खुशी है। मैं इस अवसर पर पूरी दुनिया से आए अतिथियों का स्वागत करता हूं। खासतौर पर मैं यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजोले का भी धन्यवाद अदा करता हूं।'
यह आयोजन भारत की सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हर वैश्विक आयोजन की तरह यह आयोजन भी भारत में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा। अभी मैं विदेशों से वापस लाई गई प्राचीन धरोहरों की प्रदर्शनी भी देख रहा था। बीते वर्षों में हम भारत की 350 से अधिक प्राचीन धरोहरों को वापस लाए हैं। प्राचीन धरोहरों का वापस आना, ये वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान के भाव को दिखाता है। जैसे जैसे तकनीक बढ़ेगी, इस क्षेत्र में शोध और पर्यटन की अपार संभावनाएं बनेंगी। विश्व धरोहर समिति का ये कार्यक्रम भारत के लिए एक गौरवशाली उपलब्धि से जुड़ा है। मुझे बताया गया है कि पूर्वोत्तर भारत के ऐतिहासक ‘मोइदम’ के यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना प्रस्तावित है। यह भारत की 43वीं विश्व धरोहर और पूर्वोत्तर भारत की पहली धरोहर होगी, जिसे सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिल रहा है।’
‘भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि विज्ञान भी है’
पीएम मोदी ने कहा, ‘विश्व में विरासतों के अलग अलग केंद्र होते हैं लेकिन, भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिंदु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है। अब दिल्ली का ही उदाहरण ले लीजिए। दुनिया, दिल्ली को भारत की राजधानी के रूप में जाती है। लेकिन, यह शहर हजारों वर्ष पुरानी विरासतों का केंद्र भी है। यहां आपको कदम कदम पर ऐतिहासिक विरासतों के दर्शन होंगे। यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर ही कई टन का एक लौह स्तंभ है। एक ऐसा स्तंभ जो दो हजार वर्षों से खुले में खड़ा है। फिर भी आजतक धूल प्रतिरोधक है। इससे पता चलता है कि उस समय भी भारत का धातु ज्ञान कितना उन्नत था। स्पष्ट है कि भारत की विरासत सिर्फ एक इतिहास नहीं है बल्कि भारत की विरासत एक विज्ञान भी है।’
पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर के बारे में बताया
इस दौरान पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘भारत की विरासत में उच्च इंजीनियरिंग की एक गौरवशाली यात्रा के भी दर्शन होते हैं। दिल्ली से कुछ सैकड़ों किलोमीटर दूर ही 3500 मीटर की ऊंचाई पर केदारनाथ मंदिर है। आज भी वह जगह भौगोलिक रूप से इतनी दुर्गम है कि लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है या हेलीकॉप्टर से जाना पड़ता है। वह स्थान आज भी किसी निर्माण के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ज्यादातर समय बर्फबारी की वजह से वहां काम होना असंभव है। लेकिन, आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि केदार घाटी में इतने बड़े मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। उसकी इंजीनियरिंग में कठोर वातावरण और ग्लेशियर का ध्यान रखा गया है। वह मंदिर आजतक अटल है।’
'यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र के लिए दस लाख डॉलर देगा भारत’
पीएम मोदी ने कहा, ‘धरती हमारी मां है और हम उसकी संतान हैं। इसी विचार को लेकर भारत इंटरनेशनल सोलर अलायंस और मिशन लाइफ जैसे समाधान दे रहा है। पीएम मोदी ने कहा, ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के लिए भारत 1 मिलियन डॉलर का योगदान देगा।’