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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि नीट-यूजी मामले में बड़े पैमाने पर कोई धांधली नहीं हुई है, ऐसे में दोबारा परीक्षा कराए जाने की कोई जरूरत नहीं है। उसने वायरल टेलीग्राम वीडियो को भी फर्जी बताया है।

साथ ही कहा कि 2024-25 के लिए स्नातक सीटों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होगी और यह चार दौर में आयोजित की जाएगी।

स्थानीय पक्षपात के कोई सुबूत नहीं मिले

हलफनामे के अनुसार, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि दोषी किसी भी अभ्यर्थी को कोई लाभ न मिले।हलफनामे में कहा गया है कि आइआइटी मद्रास का डाटा एनालिटिक्स कोई बड़ी अनियमितता या बड़े पैमाने पर गड़बड़ी नहीं दिखाता है। इसमें पिछले दो वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर कदाचार या स्थानीय पक्षपात के कोई सुबूत नहीं मिले हैं। इसमें कहा गया है कि अंकों का वितरण सामान्य बेल कर्व का पालन करता है और यह किसी अनियमतिता को इंगित नहीं करता है।

हलफनामे  के अनुसार, शीर्ष 1.40 लाख रैंकों का विश्लेषण करने पर कदाचार या विशिष्ट केंद्रों या शहरों को अनुचित लाभ देने का भी कोई संकेत नहीं मिला।

हलफनामे में कहा गया है कि कुछ परीक्षा केंद्रों से ही टापर होने का आरोप निराधार है। इसके मुताबिक नीट यूजी मामले में टाप 100 कैंडिडेट 56 शहरों के 95 सेंटरों से हैं। ऐसे में कुछ ही परीक्षा केंद्रों से टॉपर होने का तथ्य सही नहीं है।

हलफनामे में नीट पेपर लीक मामले पर कथित टेलीग्राम वीडियो को फर्जी करार देते हुए कहा गया है कि वह वीडियो चार मई का दिखाने के लिए एडिट किया गया था। टेलीग्राम चैनल के सभी सदस्य भी फर्जी थे। इसमें में प्रश्नपत्रों की गोपनीय छपाई, उसके परिवहन और वितरण को सुनिश्चित करने के लिए मौजूद प्रणाली के बारे में भी जानकारी दी गई है।

भविष्य में कंप्यूटर आधारित परीक्षा कराने पर विचार हो रहा

केंद्र ने कहा कि परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने तथा किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में उसने एनटीए द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। हलफनामे में कहा गया है कि पेपर की आवाजाही की बकायदा निगरानी होती है। भविष्य में कंप्यूटर आधारित परीक्षा कराने पर विचार हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ गुरुवार को विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसमें परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं और इसे नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

बता दें कि नेशनल टे¨स्टग एजेंसी (एनटीए) ने देशभर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पांच मई को नीट-यूजी परीक्षा आयोजित की थी। यह परीक्षा देश के कुल 571 शहरों के 4,750 केंद्र पर हुई थी। इसमें करीब 23.33 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा में अनियमितता को लेकर देशभर में कई जगह छात्रों ने प्रदर्शन हुए थे और अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे। इसके बाद केंद्र ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।

 

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