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पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार (10 जुलाई) को मतदान हुआ। इनमें सबसे ज्यादा चार सीटें पश्चिम बंगाल की रहीं। वहीं, हिमाचल प्रदेश की तीन तो उत्तराखंड की दो सीटों पर भी वोट डाले गए। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद पहली बार चुनाव हुए हैं। 13 सीटों पर उतरे सभी 121 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। इस चुनाव में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू की पत्नी कमलेश ठाकुर सहित कई दिग्गजों और कुछ नए चेहरों ने भी किस्मत आजमाई है।

13 विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा 78.38 फीसदी मतदान मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा सीट पर हुआ है। वहीं उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट पर सबसे कम 47.68 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। हालांकि, अभी अंतिम आंकड़े आना बाकी है। जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं, उनमें बिहार की रुपौली, पश्चिम बंगाल की रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा और मानिकतला, तमिलनाडु की विक्रवंडी, मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा, उत्तराखंड की बद्रीनाथ और मंगलौर, पंजाब की जालंधर पश्चिम और हिमाचल प्रदेश की देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा सीट शामिल हैं।

राज्य------------- सीट -----------वोट %

पश्चिम बंगाल ---रायगंज ----------67.12

पश्चिम बंगाल- रानाघाट दक्षिण--- 65.37

पश्चिम बंगाल ---बागदा ----------65.15

पश्चिम बंगाल -मानिकतला -------51.39

हिमाचल प्रदेश-- देहरा ----------63.89

हिमाचल प्रदेश -हमीरपुर -------65.78

हिमाचल प्रदेश- नालागढ़--------75.22

उत्तराखंड ------बद्रीनाथ -------47.68

उत्तराखंड -----मंगलौर --------67.28

बिहार ---------रुपौली --------51.15

पंजाब ------जालंधर पश्चिम----51.3

मध्य प्रदेश --अमरवाड़ा ------78.38

तमिलनाडु--- विक्रवंडी------- 77.73

पहले जानते हैं कि 13 सीटों के उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम क्या है?

चुनाव की अधिसूचना 14 जून को जारी की गई थी। 21 जून तक तमाम उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया। 24 जून को नामांकन की जांच हुई और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून रही। उपचुनाव के लिए मतदान 10 जुलाई को हुआ है और मतों की गिनती 13 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग के अनुसार, उपचुनाव की प्रक्रिया 15 जुलाई से पहले पूरी होनी है।

जिन सीटों पर उपचुनाव है पिछली बार इनमें से भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे अधिक तीन-तीन सीटें जीती थीं। दूसरे स्थान पर कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। वहीं टीएमसी, बसपा, जदयू, आप और डीएमके के एक-एक उम्मीदवार विजयी हुए थे।

सभी 13 सीटों पर समीकरण कैसे रहे?

पश्चिम बंगाल: राज्य में चार सीटों पर चुनाव हैं जिनमें रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा और मानिकतला शामिल हैं। टीएमसी ने 2021 के पश्चिम बंगाल चुनावों में मानिकतला सीट जीती थी। वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने रायगंज, राणाघाट दक्षिण और बागदा में जीत हासिल की थी। बाद में भाजपा के विधायक टीएमसी में चले गए।

फरवरी 2022 में मौजूदा टीएमसी विधायक साधन पांडे की मृत्यु के कारण मानिकतला उपचुनाव हो रहा है। टीएमसी ने साधन पांडे की पत्नी सुप्ती को इस सीट से मैदान में उतारा। सत्तारूढ़ पार्टी ने रायगंज से कृष्णा कल्याणी और राणाघाट दक्षिण से मुकुट मणि अधिकारी को मैदान में उतारा।

मतुआ बहुल निर्वाचन क्षेत्र बागदा में, टीएमसी ने मतुआ ठाकुरबाड़ी की सदस्य और पार्टी की राज्यसभा सांसद ममताबाला ठाकुर की बेटी मधुपर्णा ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया।

कृष्णा कल्याणी, मुकुट मणि अधिकारी और विश्वजीत दास ने भाजपा से इस्तीफा देने के बाद टीएमसी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे को मानिकतला से, मनोज कुमार विश्वास को रानाघाट दक्षिण से, बिनय कुमार विश्वास को बागदा से और मानस कुमार घोष को रायगंज से मैदान में उतारा।

हिमाचल प्रदेश: राज्य में तीन विधानसभा सीटों - देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ के लिए उपचुनाव हैं। ये सीटें तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और केएल ठाकुर (नालागढ़) के 22 मार्च को सदन से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थीं। इन तीनों ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। बाद में ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने पूर्व विधायकों को उनकी सीटों से मैदान में उतारा।

राज्य की तीन सीटों पर कुल 13 उम्मीदवार उपचुनाव उतरे। देहरा में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया। उनका मुकाबला भाजपा के होशियार सिंह से है। होशियार सिंह उन नौ विधायकों में से एक हैं जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ मतदान किया था।

सीएम सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में पूर्व निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा का मुकाबला कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा से है। नालागढ़ में पूर्व निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर का मुकाबला कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा से है। भाजपा से बागी हरप्रीत सैनी के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। हरप्रीत ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी।

उत्तराखंड: राज्य की मंगलौर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। पिछले साल अक्तूबर में बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। मुस्लिम और दलित बहुल मंगलौर सीट पर भाजपा कभी नहीं जीत पाई है। इस सीट पर पहले कांग्रेस या बसपा का कब्जा रहा है। इस बार बसपा ने अंसारी के बेटे उबेदुर रहमान को कांग्रेस उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन के खिलाफ उतारा। भाजपा उम्मीदवार के तौर पर करतार सिंह भड़ाना भी मैदान में रहे।

राज्य की एक अन्य विधानसभा सीट बद्रीनाथ पर भी उपचुनाव है। यह सीट कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस साल मार्च में इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई थी। बद्रीनाथ में भाजपा के राजेंद्र भंडारी और कांग्रेस के नए उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला के बीच सीधा मुकाबला रहा।

पंजाब: राज्य में जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी दिलचस्प माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद इस सीट को जीतने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। इस चुनाव को मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। शीतल अंगुराल के आप विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई इस सीट पर बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। उपचुनाव के लिए 15 उम्मीदवार मैदान में रहे, जबकि कुल 1.72 लाख मतदाता हैं।

सत्तारूढ़ आप ने पूर्व मंत्री और भाजपा के पूर्व विधायक भगत चुन्नी लाल के बेटे मोहिंदर भगत को मैदान में उतारा। भगत पिछले साल भाजपा छोड़कर आप में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने सुरिंदर कौर पर दांव लगाया है, जो जालंधर की पूर्व वरिष्ठ उप महापौर और पांच बार नगर निगम पार्षद रह चुकी हैं। वह रविदासिया समुदाय की प्रमुख दलित नेता हैं। भाजपा ने अंगुराल को मैदान में उतारा, जिन्होंने मार्च में आप छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। उन्होंने 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर यह सीट जीती थी।

बिहार: राज्य की रुपौली विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव हाई-प्रोफाइल रहा। यह सीट जदयू विधायक बीमा भारती के इस साल मार्च में इस्तीफा देने और राजद में शामिल होने के बाद खाली हुई थी। रुपौली विधानसभा सीट के उपचुनाव में बीमा भारती राजद प्रत्याशी रहीं। दूसरी तरफ, इस सीट पर एनडीए की ओर से जदयू ने कलाधर मंडल को टिकट दिया। वहीं, लोजपा (रामविलास) से बागी होकर शंकर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है।

पूर्णिया लोकसभा सीट पर जीतने वाले निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राष्ट्रीय जनता दल की बीमा भारती को समर्थन देने का एलान किया। इसके चलते यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया। बीमा इस सीट से 2020 के चुनाव में जदयू के टिकट पर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीमा भारती पूर्णिया लोकसभा सीट से राजद उम्मीदवार थीं। इस चुनाव में उन्हें निर्दलीय पप्पू यादव से हार मिली थी।

मध्य प्रदेश: छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव है। 2023 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर कमलेश शाह ने विधायकी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई जिस पर उपचुनाव कराया जा रहा है। अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिए नौ प्रत्याशी मैदान में रहे। भाजपा ने कमलेश शाह को टिकट दिया। कांग्रेस ने उनके सामने धीरेन शाह को उम्मीदवार बनाया। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के देवीराम भलावी के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है।

2023 के विधानसभा चुनावों में अमरवाड़ा समेत छिंदवाड़ा की सभी आठ सीटों पर कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में विजयी परचम फहराया था। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरी। वहीं लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भी पहली परीक्षा होने मानी जा रही है।

तमिलनाडु: राज्य में विक्रवंडी विधानसभा सीट का उपचुनाव भी बेहद खास है। 6 अप्रैल को डीएमके विधायक एन पुगाजेंथी के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। डीएमके ने अन्नियुर शिवा को अपना उम्मीदवार बनाया। एनडीए की सहयोगी पीएमके ने सी. अंबुमणि को उम्मीदवार बनाया जबकि तमिल समर्थक पार्टी एनटीके ने डॉ. अभिनय को मैदान में उतारा। तीनों उम्मीदवार वन्नियार समुदाय से थे। उधर एआईएडीएमके ने विक्रवंदी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव का बहिष्कार किया।

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