ग्रेटर नोएडा: जिला न्यायालय ने भट्टा पारसौल (दोनों गांवों) के 22 किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी किया है। दरअसल, किसानों पर हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और हथियार लूटने के आरोप हैं और किसान लम्बे अरसे से अदालत में हाजिर नहीं हो रहे हैं। भट्टा पारसौल में भूमि अधिग्रहण का विरोध में चल रहा किसानों का आंदोलन 07 मई 2011 को हिंसक हो गया था। किसानों और पुलिस के बीच फायरिंग हुई थी। जिसमें दो सिपाहियों और दो किसानों की मौत हो गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी और फिलहाल ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल को पांव में गोली लगी थी। एसएसपी सूर्या नारायण सिंह गम्भीर घायल हुए थे। पुलिस में मनवीर तेवतिया, किरणपाल सिंह और राजीव मलिक समेत 22 किसानों को पुलिस ने जेल भेजा था। फिलहाल सारे किसान जमानत पर हैं। भट्टा पारसौल ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया था। कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शर्मा एडवोकेट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके सीबीआई जांच की मांग की। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। सीबीसीआईडी ने करीब तीन साल पहले 22 किसानों को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट जिला अदालत में दाखिल कर दी थी।
2012 के विधान सभा चुनाव में प्रचार करने आए अखिलेश यादव ने दनकौर की रैली में घोषणा की थी कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनी तो किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस ले लेंगे। अखिलेश यादव ने सीएम बनते ही किसानों पर दर्ज 17 मुकदमों में से 12 वापस ले लिए थे। लेकिन हत्या, अपहरण और हत्या का प्रयास जैसे जघन्य मामले अब तक सरकार ने वापस नहीं लिए हैं। दूसरी और किसान सीएम के आश्वासन के चलते अदालत में हाजिर नहीं हो रहे हैं। इस कारण अदालत किसानों को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया है। मुक़दमें वापस नहीं लेने से किसान खफा हैं। किरणपाल सिंह का कहना है, हम अखिलेश यादव, आजम खान, नरेंद्र भाटी, राजा भैया, मदन चौहान के अलावा मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह और राम गोपाल यादव से मिल चुके हैं। सबने मुक़दमें वापस लेने का आश्वासन तो दिया लेकिन कुछ नहीं किया। राजीव मलिक का कहना है कि अब हम लोगों को मजबूर होकर फिर आंदोलन की राह पकड़नी होगी। पहले भी एक महीना धरना देने के बाद सरकार ने 12 मुक़दमें वापस लिए थे। सरकार ने करीब एक साल पहले मुकदमें वापस लेने के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार के विधि विभाग ने जिलाधिकारी और एसएसपी से मंतव्य मांगा था। डीएम एनपी सिंह ने बताया, अगर सरकार मुक़दमें वापस ले तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। एसएसपी ने भी रिपोर्ट में अनापत्ति दी है।