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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में बुधवार को हुए ताजा विद्रोह के तहत दो विधायकों ने बगावत का झण्डा उठा लिया और बसपा मुखिया मायावती पर चुनाव के टिकट के लिये मोटी रकम उगाहने का आरोप लगाया। हालांकि, थोड़ी ही देर बाद दोनों को दूसरी बार पार्टी से निलम्बित कर दिया गया। पलिया से बसपा विधायक हरविंदर कुमार साहनी उर्फ रोमी साहनी और मल्लावां से पार्टी विधायक बृजेश वर्मा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मायावती मोटी रकम लेकर चुनाव के टिकट बेच रही हैं। इससे पार्टी की बदनामी हो रही है। मायावती की यह उगाही बहुजन समाज के आदर्शों, भीमराव अम्बेडकर और कांशीराम के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस बगावत पर फौरी कार्रवाई करते हुए दोनों बसपा विधायकों को पार्टी से निलम्बित करके उन्हें बसपा के किसी भी कार्यक्रम में शामिल ना होने की हिदायत दी गयी है। बसपा के प्रान्तीय अध्यक्ष रामअचल राजभर ने साहनी को जनता के बजाय अपने कारोबार पर ध्यान देने की सजा उनका टिकट काटकर दी गयी थी। ऐसा ही वर्मा के साथ भी किया गया था, क्योंकि वह अपने कार्यकर्ताओं के बजाय अपने परिवार को बढ़ावा दे रहे थे। दोनों बसपा विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि गत 6 जुलाई को उन्हें मायावती के आवास पर बुलाया गया था और पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बसपा मुखिया की मौजूदगी में उनसे पलिया और मल्लावां सीटों के टिकट के लिये क्रमश: पांच और चार करोड़ रूपये मांगे थे।

साहनी और वर्मा ने यह भी कहा कि उन्हें यह चेतावनी दी गयी थी कि अगर उन्होंने रकम जमा नहीं की तो उनके टिकट काटकर अन्य लोगों को दे दिये जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे ऊंची बोली लगाने वालों को टिकट दिये जाने का चलन बेहद दुखद है। धन उगाही का यह खेल पार्टी समन्वयकों के जरिये खेला जा रहा है। बसपा के वरिष्ठ नेताओं स्वामी प्रसाद मौर्य, आर.के. चौधरी और रवीन्द्र नाथ त्रिपाठी द्वारा हाल में बसपा छोड़े जाने के बाद पार्टी में यह ताजा बगावत हुई है। साहनी और वर्मा ने बताया कि पार्टी के निष्कासित नेता जुगुल किशोर से सम्पर्क रखने के आरोप में उन्हें हाल में बसपा से निष्कासित कर दिया गया था लेकिन चार दिन बाद उन्हें एक कागज पर दस्तखत करवाकर पार्टी में वापस लिया गया था।बसपा ने इन दोनों विधायकों को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलम्बित कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने एक बयान जारी कर कहा कि ये दोनों ही विधायक स्थानीय निकायों के चुनाव में पार्टी की बजाय परिवार को बढ़ावा देते रहे, इस कारण इनका टिकट काट दिया गया। वहीं ये विधायक दूसरी पार्टी से टिकट लेने के स्वार्थ के कारण बसपा पर झूठे व तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। बीती 20 जून को पार्टी ने रोमी साहनी सहित दो विधायकों, एक पूर्व एमएलसी और एक पूर्व कोऑर्डिनेटर को बसपा से निष्कासित कर दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद दोनों ने बसपा प्रमुख से लिखित माफी मांगी थी। इस पर सुश्री मायावती ने उन्हें माफ करते हुए पार्टी से उनका निष्कासन रद्द कर दिया था।

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