नई दिल्ली: अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण में क्रीमी लेयर से जुड़ी अधिसूचना पर विपक्ष की आपत्तियों के बीच सरकार ने आज (सोमवार) स्पष्ट किया कि यह 2004 में संप्रग सरकार के दौरान जारी की गई थी और उसी समय से जारी है, साथ ही कहा गया कि मोदी सरकार पिछड़े वर्ग के आरक्षण को कोई क्षति नहीं पहुंचने देगी और अगर क्रीमी लेयर के संबंध में कोई परिवर्तन करना है तो सरकार इसके लिए तैयार है। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के धर्मेन्द्र यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम आने के बाद डीओपीटी ने क्रीमी लेयर की जो व्याख्या की है, उससे काफी संख्या में पिछड़े वर्ग के छात्र प्रभावित होंगे। सरकार को इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग क्रीमी लेयर कि सीमा ११ लाख रुपए करने कि सिफारिश कर चुका है, लिहाज उस सिफारिश को तत्काल लागू किया जाना चाहिए। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने भी सरकार से इस संबंध फैसला वापस लेने की मांग की। सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस बारे में कोई नई पहल नहीं की है बल्कि साल 2004 से ही संप्रग सरकार द्वारा पेश प्रावधान को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह 2004 से अब तक जारी है। इसमें भाजपा या मोदी सरकार का कोई हाथ नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ यूपीएससी में चुने गए छात्रों से 2004 से ही इस बारे में जानकारी मांगी जाती रही है। यह जानकारी इसलिए मांगी जाती है ताकि भविष्य में कोई अदालत में न चला जाए या कोई अदालती वाद न बन जाए।’’
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ कोई नई अधिसूचना नहीं है। ओबीसी छात्रों को कोई क्षति नहीं पहुंचने दी जायेगी।’’ संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, ‘‘मोदी सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के प्रति कटिबद्ध है। सदस्य जिस अधिसूचना के बारे में बात कर रहे हैं, वह साल 2004 से क्रीमी लेयर के नियम के तहत प्रभावी है। ओबीसी की क्रीमी लेयर के बारे में कोई नई नियमावली नहीं है। अगर इसमें कोई परिवर्तन होना है तो सरकार इसके लिए तैयार है। ’’