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नई दिल्‍ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस ने आज (गुरूवार) तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए अगले साल की शुरूआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया। पार्टी ने कहा कि शीला को उनके अनुभव और दिल्ली में 15 साल तक सरकार चलाने के दौरान उनके अच्छे काम की वजह से यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। उत्तर प्रदेश में पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दिल्ली में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीला की अच्छी साख को देखते हुए उन्हें पार्टी का चेहरा बनाने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिफारिश की थी कि शीला को एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश कर राज्य में पार्टी के चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभाने देना चाहिए ताकि वोटों के लिहाज से अहम ब्राह्मण समुदाय का समर्थन कांग्रेस को फिर से हासिल हो सके। पंजाबी खत्री परिवार में जन्मीं 78 साल की शीला उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे उमा शंकर दीक्षित की पुत्रवधु हैं। उमा शंकर दीक्षित राज्य के बड़े ब्राह्मण नेता थे जिन्होंने केंद्रीय मंत्री एवं राज्यपाल के तौर पर लंबे समय तक सेवाएं दी। साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के उदय के साथ ही दिल्ली में मुख्यमंत्री के तौर पर शीला का सफर खत्म हुआ। पिछले दिनों अभिनेता और पूर्व सांसद राज बब्बर को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के पार्टी के फैसले के बाद शीला को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी के साथ पार्टी के एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा, ‘उनके अनुभव और अच्छे काम को पार्टी ने उनकी सबसे बड़ी विश्वसनीयता माना।’ पार्टी ने उत्तर प्रदेश के लिए समन्वय समिति और प्रचार समिति की भी घोषणा की। समन्वय समिति की अगुवाई संजय सिंह करेंगे जबकि प्रचार समिति की कमान प्रमोद तिवारी को सौंपी गई है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने पर शीला ने पार्टी नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया और कहा कि प्रियंका काफी लोकप्रिय नेता हैं। मेरी गुजारिश होगी कि वह पूरे राज्य में चुनाव प्रचार करें। उत्तर प्रदेश में अपने लिए ‘बड़ी चुनौती’ होने की बात स्वीकार करते हुए शीला ने कहा कि कांग्रेस पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी और भाजपा, सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और बसपा से एकसमान तरीके से मुकाबला करेगी। शीला को ऐसे दिन मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया जब दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने कथित तौर पर हुए 400 करोड़ रूपए के पानी के टैंकर घोटाले के सिलसिले में उन्हें नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने के लिए कहा। शीला ने एसीबी की कार्रवाई को ‘राजनीति से प्रेरित’ करार दिया। कांग्रेस का मानना है कि ब्राह्मण जाति से संबंध रखने वाली शीला को उत्तर प्रदेश में प्रचार का चेहरा बनाने से पार्टी इस समुदाय का समर्थन फिर से हासिल कर सकती है। कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक रहा ब्राह्मण समुदाय मंदिर-मंडल राजनीति के उभार के बाद मुख्य रूप से भाजपा के पक्ष में चला गया था। मायावती की बसपा को भी अतीत में ब्राह्मणों का वोट अच्छी-खासी संख्या में मिलता रहा है। मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर ब्राह्मणों का समर्थन चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है।

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