नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चुनाव चिन्ह हाथी को रद्द करने की मांग की गई है। मांग के पीछे दलील दी गई है कि सार्वजनिक जगहों पर सरकारी खर्च पर इस जानवर की प्रतिमाएं लगाई गई हैं। न्यायमूर्ति आर.एस.एंडलॉ ने कहा, ‘‘मामले को वापस निर्वाचन आयोग के पास भेज दिया गया है।’’ यह याचिका गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमन काज ने दाखिल की है और आरोप लगाया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक जगहों पर बनवाई गईं हाथियों की स्थायी प्रतिमाओं के कारण चुनाव में समान अवसर में बाधा आती है। निर्वाचन आयोग द्वारा याचिका रद्द किए जाने के बाद एनजीओ ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। निर्वाचन आयोग ने कहा कि तत्कालीन बसपा सरकार ने सही संख्या में हाथियों की प्रतिमा और प्रतिमा स्थल की संख्या की जानकारी नहीं दी थी। एनजीओ ने न्यायालय से कहा कि तत्कालीन मायावती सरकार ने राज्य में विभिन्न स्थानों पर हाथियों की प्रतिमा लगाने के लिए सरकार के करोड़ों रुपये खर्च किए। एनजीओ ने दावा किया कि राज्य में सरकारी खर्च पर प्रतिमाएं बनवाकर पार्टी ने चुनावी आचार संहिता का भी उल्लंघन किया।
याचिका के मुताबिक, ‘‘यदि एक कार्यालय के अंदर मौजूद एक तस्वीर समान अवसर में बाधा साबित हो सकती है, तो सार्वजनिक स्थलों पर मौजूद प्रतिमाएं, जिन्हें हर आने-जाने वाला व्यक्ति देख सकता है, मतदाताओं के मनोमस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।’’