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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-नोएडा फ्लाईवे को टोल फ्री करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार किया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कैग से डीएनडी फ्लाइवे परियोजना की लागत की जांच करने और इसकी एक रिपोर्ट अदालत के समक्ष जमा करने को कहा। गौरतलब है कि दिवाली से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए डीएनडी फ्लाईओवर को टोल-फ्री कर दिया। कोर्ट का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया था। करार समझ से परे: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि डीएनडी (दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट) बनने पर 408 करोड़ का खर्चा आया था। कंपनी खुद मान रही है कि 31 मार्च 2014 तक 810.18 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि 300 करोड़ रुपये की वसूली अभी शेष है। पैसा वसूलते रहने के बावजूद लागत कैसे बढ़ती जा रही है? कंपनी की यह गणना समझ से परे है। ऐसे तो 100 साल में भी भरपाई नहीं होगी। न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि टोल ब्रिज कंपनी ने लागत वसूल कर ली है, लेकिन करार की शर्तों के अनुसार सौ साल में भी उसकी भरपाई नहीं होगी। गलत करार का खामियाजा जनता नहीं भुगत सकती। फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने 2012 में याचिका दायर की गई थी। चार साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण ने ऐसा करार किया है जिसकी वजह से कंपनी अवैध वसूली कर रही है।

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