नई दिल्ली: त्रिपुरा में चल रहे स्थानीय निकाय चुनावों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है सशस्त्र केंद्रीय पुलिस बल (सीएपीएफ) की दो कंपनियों को जल्द ये जल्द त्रिपुरा भेजा जाय. कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बावत तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने चुनावों में सीसीटीवी की अनुपस्थिति में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया को बेरोक-टोक चुनाव की कवरेज की इजाजत देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग और अधिकारी इस आदेश का पालन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निकाय चुनाव शुरू हो चुके हैं, इसलिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए वहां तुरंत केंद्रीय सुरक्षा बल भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिना किसी व्यवधान के वोटिंग सुनिश्चित किया जाए। कोर्ट ने डीजीपी, आईजीपी और एमएचए को लगातार हालात की समीक्षा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि शीर्ष अधिकारी हालात की समीक्षा कर सुझाव देंगे कि क्या वहां और अधिक सुरक्षाबलों की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक मतदान बूथ पर पर्याप्त सीएपीएफ हो ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सके।
मामले की सुनवाई शुरु करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने रिपोर्ट दायर की है और मुझे सुबह ही मिली है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट को बताया कि वोटिंग पिछले ढाई घंटे पहले शुरु हुई है जिसके कई वीडियो मिले हैं. शंकरनारायणन ने बताया कि वीडियो में बाहरी लोगों को बूथों में घुसते हुए देखा गया है. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वहां अतिरिक्त दो बटालियन भेजने के लिए गृह मंत्रालय से अनुरोध किया गया है।
त्रिपुरा सरकार की तरफ से पेश हुए वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि मतदान पूरी तरह से शांति से चल रहा है और केवल याचिकाकर्ता और हस्तक्षेपकर्ता ही बाधा डाल रहे हैं। इस पर गोपाल शंकरनारायण ने कहा, "वहां पूरा आतंक चल रहा है। मेरे पास यह साबित करने के लिए वीडियो हैं लेकिन मैं वीडियो को बेंच में दिखाने की स्थिति में नहीं हूं।"
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अब पोस्ट मॉर्टम करने के बजाय हम किसी भी केंद्रीय सशस्त्र बल की 2 अतिरिक्त कंपनी को तुरंत तैनात करने के लिए एमएचए को निर्देश दे रहे हैं।