चंडीगढ़: पंजाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री बनने वाले दलित समुदाय के पहले व्यक्ति हैं। उनके अलावा सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओम प्रकाश सोनी ने भी शपथ ली जो राज्य के उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं।
चन्नी दलित सिख (रामदसिया सिख) समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह इस क्षेत्र से साल 2002 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार जीत दर्ज की। वह शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के शासनकाल के दौरान साल 2015-16 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे। पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले रूपनगर के एक गुरुद्वारे में पूजा-अर्चना की।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का काफिला पंजाब के राजभवन पहुंच गया। हालांकि सीएम की शपथ इससे पहले ही हो चुकी थी।
खास बात यह रही कि इस शपथग्रहण समारोह से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दूरी बनाए रखी और वह इसमें शामिल नहीं हुए। हालांकि, खबरों के मुताबिक अब शपथ लेने के बाद आज दोपहर एक बजे के आसपास चन्नी कैप्टन से मिलने के लिए उनके फार्म हाउस पर जाएंगे। पंजाब की राजनीति में ये तीनों ही चेहरे कैप्टन के करीबी नहीं माने जाते हैं।
माना जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह पहले साढ़े 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और इसके बाद वह कैप्टन से मिलने जाएंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था जिसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य में कांग्रेस ने अगला सीएम चुना था।
मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी को बधाई दी। मोदी ने कहा कि पंजाब के लोगों की भलाई के लिए पंजाब सरकार के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।
मायावती ने चन्नी को दी बधाई
वहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रधान मायावती ने चन्नी को बधाई देते हुए दलित वर्ग को कांग्रेस से सावधान रहने को कहा है। मायावती ने कहा कि दलित सीएम बनाना कांग्रेस का चुनावी हथकंडा है।
चन्नी दलित सिख समुदाय से आते हैं और अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह पंजाब के पहले दलित नेता हैं, जो राज्य के मुख्यमंत्री बने। कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले चन्नी को सीएम बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री बदलने के बाद पंजाब कांग्रेस की सियासी नूराकुश्ती खत्म होगी।