नई दिल्ली/इंफाल: पिछले डेढ़ साल से हिंसा की आग में चल रहे मणिपुर में फिर एक बार तनाव बढ़ गया है। उग्र और हिंसक प्रदर्शन का दौर जारी है। यहां के कई इलाकों में बवाल का सिलसिला जारी है। यह वजह है कि सरकार ने यहां कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रखा है। कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।
केंद्र सरकार यहां हालात कंट्रोल करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। पिछले दिनों यहां सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई बड़े फैसले भी लिए, लेकिन हालात अब भी बेकाबू नजर आ रहे हैं। आइए मणिपुर के मौजूदा हालात पर एक नज़र डालते है।
मणिपुर के कई इलाके फिर हिंसा की चपेट में
मणिपुर के मौजूदा हालात एक बार फिर पहले जैसे हैं। राज्य के कई इलाके हिंसा की चपेट में हैं। एक तरफ कुकी समुदाय के लोग अपनी मांग को लेकर हिंसा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मैतेई समुदाय एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या के विरोध में सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर है।
मणिपुर की ताजा हिंसा की शुरुआत जिरीबाम से हुई। पहले सुरक्षाबलों की चौकी पर कुकी उग्रवादियों ने हमला किया। जवाबी कार्रवाई में कुछ उग्रवादी मारे गए। इसके बाद इन्होंने 12 नवंबर 2024 को एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों को अगवा किया। बाद में इनके शव 16 नवंबर को असम-मणिपुर सीमा पर मिले, जिसके बाद कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया।
मणिपुर में स्थिति को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने सीएपीएफ की 50 और कंपनियां भेजने का फैसला किया है। इस तरह अब राज्य में सीएपीएफ की 268 कंपनियां तैनात हो जाएंगी। इनमें पांच हजार जवानों की संख्या और बढ़ जाएगी। इस तरह, राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में जवानों की तैनाती की संख्या 26,800 हो जाएगी। इन 50 कंपनियों में सबसे बड़ी संख्या सीआरपीएफ की कंपनियों की होगी, जबकि बाकी कंपनियां बीएसएफ और अन्य सुरक्षाबलों की होंगी। जो अतिरिक्त 50 कंपनी यहां जाएगी उनमें अतिरिक्त 6500 अर्धसैनिक बल होंगे। यहां पहले से ही 40,000 केंद्रीय बल मौजूद हैं।
प्रदर्शनकारियों ने जिरीबाम कस्बे में दो चर्च और तीन घरों में आग लगा दी। थांगमेइबंद में प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा भवन से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर टायर जलाए।
मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग कोशिशें कर रही हैं। राज्य सरकार ने हिंसा प्रभावित सात जिलों में अगले दो दिन तक इंटरनेट बंद करने का फैसला लिया है। यह आदेश 23 नवंबर तक के लिए है।
मणिपुर हिंसा के चलते केंद्र सरकार ने 14 नवंबर को इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, जीरोबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर जिलों में सेकमाई, लामसांग, लामलाई, जीरीबाम, लीमखोंग और मोईरांग पुलिस थाना के अंतर्गत आते इलाकों में अफस्पा लगाया था। मणिपुर की राजधानी इंफाल (पूर्व और पश्चिम), विष्णुपुर, थाउबल और काकचिंग जैसे जिलों में 16 नवंबर को अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया था।
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने सीएम बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए रविवार (17 नवंबर 2024) को बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
इस बीच बीजेपी की मणिपुर इकाई में दरार मंगलवार (19 नवंबर 2024) को और गहरी हो गई। 37 में से 19 बीजेपी विधायकों ने मंगलवार को हुई सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई एनडीए की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इन विधायकों में दोनों समुदायों के नेता शामिल थे।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मणिपुर के सीएमएन बीरेन सिंह ने राज्य में हिंसा के लिए कांग्रेस और उनके नेता पी चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है, “जब वो तत्कालीन कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री थे और ओकराम इबोबी सिंह (मणिपुर के) सीएम थे तो वो म्यांमार के जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी के अध्यक्ष थांगलियानपाउ गुइते को मणिपुर लेकर आए थे। यह संगठन म्यांमार में प्रतिबंधित है।“
अशांति के बीच सिंह ने न्याय और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है, हालांकि उनके इस रुख के कारण कुकी-जो विधायकों और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम जैसे राजनीतिक नेताओं के साथ उनका टकराव हुआ है।