वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने अरबों डॉलर के ड्रोन सौदे को अंतिम रूप दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान दोनों नेताओं ने ड्रोन सौदे पर भी विस्तार से चर्चा की।
भारत, अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन और सी गार्जियन ड्रोन खरीदने जा रहा है। इन ड्रोन की कीमत करीब 3 अरब डॉलर है। भारत का लक्ष्य खासकर चीन के साथ सीमा पर सशस्त्र बलों के निगरानी तंत्र को बढ़ाना है। माना जा रहा है कि नए ड्रोन चीन सीमा पर ही तैनात किये जाएंगे।
भारत, अमेरिका से खरीद रहा ड्रोन, पनडुब्बियां और लड़ाकू विमान
भारत और अमेरिका के बीच इस ड्रोन सौदे के लिए बातचीत पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से चल रही है। पिछले साल जून में रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और लेजर-गाइडेड बमों से लैस एमक्यू-9बी स्काई गार्जियन और सी गार्जियन सशस्त्र ड्रोन की खरीद को मंज़ूरी दी थी।
ड्रोन खरीदने के अलावा, भारतीय नौसेना इस वित्तीय वर्ष में दो अन्य बड़े रक्षा सौदे भी करने की सोच रही है... इनमें 3 और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां और 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान शामिल हैं।
एमक्यू-9बी स्काई गार्डियन और सी गार्डियन ड्रोन की खासियत
एमक्यू-9बी ड्रोन काफी ऊंचाई और लंबे समय तक उड़ने वाला रिमोट से संचालित मानव रहित विमान है, जिसका निर्माण और बिक्री अमेरिकी रक्षा फर्म जनरल एटॉमिक्स द्वारा की जाती है। यह लगातार खुफिया जानकारी एकत्र करते हुए निगरानी भी रखता है। इसे सभी प्रकार के मौसम में उपग्रह के माध्यम से क्षितिज पर 40+ घंटे तक उड़ान भरने और नागरिक हवाई क्षेत्र में सुरक्षित रूप से एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे संयुक्त बल और नागरिक अधिकारी दुनिया में कहीं भी वास्तविक समय की स्थिति के बारे में जानकारी दे सकें फिर चाहे दिन हो या रात।
भारत कहां करेगा ड्रोन का इस्तेमाल?
जनरल एटॉमिक्स से खरीदे जाने वाले 31 ड्रोन भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के बीच विभाजित किए जाएंगे। एमक्यू-9बी ड्रोन में से 16 भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी निगरानी बढ़ाने के लिए आवंटित किए जाएंगे, आठ भारतीय सेना को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर उपयोग के लिए दिए जाएंगे, और शेष आठ भारतीय वायु सेना को सीमाओं के पार सटीक, लक्षित मिशनों के लिए सौंपे जाएंगे।