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बहराइच: उत्तर प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में रिश्वत नहीं मिलने पर स्टाफ कर्मियों द्वारा समय पर कथित तौर पर उपचार मुहैया नहीं किए जाने के चलते 10 माह के एक शिशु की मौत होने की शर्मनाक घटना सामने आई है। इस घटना ने लोगों में रोष पैदा कर दिया है जिसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को पद से हटा दिया। शिशु किशना के पिता शिवदत्त ने आरोप लगाया कि उसकी मौत इसलिए हुई कि अस्पताल के स्टाफ ने उसे एक जरूरी इंजेक्शन लगाने में देरी कर दी और उपचार मुहैया कराने के लिए रिश्वत मांगने में समय गंवा दिया। शिवदत्त दिहाड़ी मजदूर है। पीड़िता के परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि शिशु को नर्स ने ‘एक गलत इंजेक्शन’ लगा दिया जिसके कारण उसकी बहराइच जिला अस्पताल में नौ अगस्त की सुबह मौत हो गई। लखनउ में एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएमएस को हटाने के आदेश जारी किए हैं। अखिलेश ने कहा कि सरकार लोगों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है और मरीजों को लेकर लापरवाही बरतने वाले असंवेदनशील चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वत:संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

उसने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा। मामले के प्रकाश में आते ही राज्य सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री एस. पी. यादव ने इसे गम्भीरता से लेते हुए बहराइच के जिलाधिकारी को मामले की जांच करके 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिये हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बहराइच मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए अपराधियों के खिलाफ कदम उठाए जाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के शासन में ऐसे मामलों और दलितों के खिलाफ ज्यादतियां बढ़ी हैं।

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