लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे मंत्रिमंडल फेरबदल में उत्तर प्रदेश का खास ख्याल रखा है। राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के सहयोगी 'अपना दल' की सांसद अनुप्रिया पटेल को कैबिनेट में स्थान दिया गया है। अपना दल की अनुप्रिया पटेल मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री बन गई, लेकिन उनकी ही पार्टी के दूसरे सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने दावा किया कि भाजपा ने इस बारे में उनकी पार्टी से राय नहीं ली। यही नहीं, हरिवंश सिंह की मानें तो अपना दल ने अनुप्रिया पटेल को एक साल पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मिर्ज़ापुर से अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने शपथ ली और पार्टी में विवाद शुरू हो गया। पार्टी के दूसरे सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने इसे 'पीठ पर छुरा घोंपने' की कार्रवाई करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस बारे में पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल को ख़बर तक नहीं दी। प्रतापगढ़ से पार्टी के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह ने कहा कि हम राजग परिवार के सदस्य हैं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल की राय लेने की बात तो दूर, उन्हें फोन तक नही किया गया। क्या परिवार में ऐसा होता है।कुंवर हरिवंश सिंह अपने साथ वह चिट्ठी भी लेकर आए जिसके मुताबिक साल भर पहले ही अनुप्रिया पटेल को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। लोकसभा अध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और निर्वाचन आयोग तक को इस बारे में कृष्णा पटेल की ओर से चिट्ठी लिखी गई है।
हरिवंश ने कहा कि अपना दल की पार्टी अध्यक्ष इसे पीठ में छुरा घोंपने वाली कार्रवाई कह रही है।दूसरी ओर, केंद्र सरकार में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया। अनुप्रिया के मुताबिक आज वे जो कुछ भी हैं, अपने पिता के त्याग और मां के आशीर्वाद की वजह से हैं। यही नहीं, उन्होंने उल्टे हरिवंश सिंह पर आरोप मढ़ दिया। केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि हरिवंश दो साल पहले पार्टी में शामिल हुए हैं। उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा ज्यादा हो गई है। ये गलत नही है लेकिन थोड़ा धैर्य रखें। अनुप्रिया कुछ भी दावा करें लेकिन ये हकीकत है कि अपना दल में कुर्मी वोटों को लेकर फूट तो पड़ ही चुकी है। महज 35 वर्ष की अनु्प्रिया पिछड़ा वर्ग से हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से सांसद हैं। गौरतलब है कि पार्टी की गतिविधियों से कहीं अधिक अनुप्रिया अपनी मां कृष्णा पटेल के साथ टकराव को लेकर इस समय सुर्खियों में हैं। पार्टी पर पकड़ बनाने को लेकर शुरू हुआ मां-बेटी का यह टकराव इतना बढ़ चुका है कि पार्टी प्रमुख उनकी मां कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया समेत सात लोगों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह वर्ष के लिए अपना दल से निष्कासित कर चुकी हैं। अनुप्रिया के पिता सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित अपना दल की पूर्वी यूपी के पिछड़ों खासकर कुर्मी समुदाय के बीच अच्छी पैठ है। अब सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव अनुप्रिया के हिस्से आने वाली सीट पर उनके उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह क्या होगा? ज़ाहिर है कि अनुप्रिया के उम्मीदवारों को अपना दल का चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा, लिहाज़ा उनके लोग भाजपा के निशान पर या किसी नए चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। जबकि उनके सामने अपना दल का अधिकृत उम्मीदवार भी होगा, इन हालात में भाजपा को अपने घटक दल से कोई खास फायदा होता नज़र नहीं आ रहा है।बहरहाल अभी कुछ दिन पहले ही पिता डॉ सोनेलाल पटेल के जन्मदिन पर अनुप्रिया ने रैली में हजारों की भीड़ जुटाई थी और भाजपा को अपनी ताकत का अहसास कराया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुप्रिया को मंत्री बना कर यूपी के कुर्मी समुदाय को अपने खेमे में लाने का जतन किया है। चुनाव में इसका लाभ मोदी को मिला या नहीं, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही तय होगा।