लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वफादार माने जाने वाले पार्टी विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मौर्या ने आज (बुधवार) प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि मायावती टिकटों की नीलामी कर रही हैं। वह डॉ.अंबेडकर, काशीराम के विचारों की हत्या कर रही हैं। 2014 के नतीजों से भी मायावती ने कोई सबक नहीं लिया। मौर्य के बसपा का दामन छोड़ने के बाद उनके सपा में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं और यहां तक कि उन्हें प्रदेश मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है। अखिलेश कैबिनेट का विस्तार आगामी 27 जून को होना है। लखनऊ में उनके पार्टी छोड़ने को लेकर कयास थे, लेकिन वह किस पार्टी में जा रहे हैं यह अभी साफ नहीं है। उनके पार्टी छोड़ने की अफवाहें तब शुरू हुई जब उन्होंने अपने घर में नीले रंग के बजाय दूसरे रंग की पुताई करवाई। उनके इस्तीफा देने से सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। 2017 के चुनावों को देखते हुए उनके इस निर्णय को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि वह दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं। इस बीच मायावती ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य मुलायम सिंह यादव के साथ लोकदल में थे। अगर वह पार्टी नहीं छोड़ते तो हम निकाल देते। उन्होंने 2012 में पार्टी छोड़ने की बात कही थी। वे अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे। उन्होंने पहले भी पार्टी से बेटा-बेटी को टिकट दिलवाया भी था। दोनों हार गए।
बीएसपी परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य इस समय उत्तरप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। एक समय उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती के खास सिपहसालारों में शुमार किया जाता था और वे यूपी की मायावती सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा की हार के बाद मायावती के साथ मौर्य के संबंधों में खटास आती गई। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने मौर्य को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उनकी जगह रामअचल राजभर को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।