लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए आज (शनिवार) हुए द्विवाषिर्क चुनाव में क्रास वोटिंग के बावजूद सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे, मगर कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्र के मुकाबले में थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। राज्यसभा चुनाव में सपा और बसपा का दबदबा बरकरार रहा। सपा के सभी सात और बसपा के दोनों प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। कांग्रेस से एकमात्र प्रत्याशी सिब्बल सबसे कम वोट से जीते। वह भी दूसरे दलों के सहयोग से। भाजपा को भी एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्रा भी राज्यसभा नहीं पहुंच सकीं। राज्यसभा के लिए 401 विधायकों ने वोट डाले। इस बार कोई मत अवैध नहीं पाया गया। अमर सिंह, रेवती रमण सिंह, कपिल सिब्बल दूसरी वरीयता का वोट पाकर जीते। वहीं प्रथम वरीयता के वोट से जीतने वालों में सपा के पांच, बसपा के दो व भाजपा का एक प्रत्याशी शामिल है। सर्वाधिक 42 वोट बसपा के अशोक सिद्धार्थ और सबसे कम 25 वोट कांग्रेस के कपिल सिब्बल को मिले। निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा ने हार स्वीकार करते हुए दोबारा यूपी से राजनीति शुरू करने की हुंकार भरी। समाजसेवी प्रीति के बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से राज्यसभा का मुकाबला दिलचस्प हो गया था। प्रीति के प्रस्तावकों में भाजपा के 16 विधायक, सपा के बागी विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक थे। कांग्रेस विधायकों की 'क्रास वोटिंग' राज्यसभा चुनाव में सतह पर आ गई।
पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी कपिल सिब्बल को कांग्रेस के 6 विधायकों ने दूसरे दलों के प्रत्याशियों को वोट दे दिया, जबकि एक बीमार होने के कारण वोट डालने नहीं आ पाया। इस तरह सिब्बल को पार्टी के 29 वोटों में से 22 वोट ही मिल सके। रालोद, कौमी एकता दल और सपा के सहयोग से उन्हें प्रथम वरीयता के 25 वोट मिल पाए। कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि पार्टी के तीन विधायकों ने बसपा को और तीन विधायकों ने भाजपा को वोट दिया। दूसरी वरीयता के मतों की बदौलत ही कपिल सिब्बल की नैया पार हो सकी। कांग्रेस नेता वीरेन्द्र मदान ने कहा कि कपिल सिब्बल की जीत कांग्रेस के लिए बेहद अहम है, भाजपा की सारी व्यूह रचना उन्हें हराने के लिए ही थी। राज्यसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के दौरानक्रास वोटिंग को लेकर खूब तकरार हुई। सपा के बागी विधायक भाइयों गुड्डू पंडित व मुकेश शर्मा ने आरोप लगाए कि उन्हें वोट डालने के दौरान धमकाया गया। इसकी शिकायत पर्यवेक्षक और लिखित शिकायत चुनाव आयोग से की है। सपा के प्रदेश प्रभारी व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वोट डालने से किसी को नहीं रोका गया। लेकिन गद्दारों को माफ नहीं किया जाएगा। राज्यसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले विधान परिषद के लिए हुए मतदान में हुई क्रास वोटिंग को लेकर सभी पार्टियां सतर्क थीं। गुड्डू पंडित व मुकेश शर्मा की वोट डालने के दौरान सपा नेताओं से ठन गई। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में ओपन वोटिंग का नियम है। इसमें अपने दल के प्रमुख नेता को दिखाकर वोट डालना होता है। जब उन्होंने अपना बैलट पेपर शिवपाल यादव को दिखाया तो उन्हें भाजपा को वोट देने का अंजाम भुगतने की धमकी दी गई। गुड्डू पंडित ने आरोप लगाया कि सपा नेता पवन पांडेय ने बैलट छीनने तक की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वोट डाला। भाजपा विधायक संगीत सोम, रघुनंदन सिंह भदौरिया, कृष्णा पासवान और विमला गौतम ने आरोप लगाया कि सपा नेताओं ने भाजपा वोटरों से बैलट पेपर छीनने की कोशिश की। वोट डालते समय मतपेटी बंद करने का प्रयास किया गया। वोट देने के साथ ही सपा, बसपा के कई विधायक अपरोक्ष तौर से भाजपा में शामिल होते नजर आए। मुकेश शर्मा और गुड्डू पंडित भाजपा विधायक संगीत सोम के साथ टहलते रहे। बसपा के राजेश पति त्रिपाठी प्रीति महापात्रा के साथ भाजपा विधान मंडल दल के कार्यालय में बैठे तो सपा के बागी विधायक रामपाल यादव भी भाजपा कार्यालय पर नजर आए।