अहमदाबाद: राजद्रोह के कथित मामले में पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की जमानत याचिका को नगर सत्र अदालत ने खारिज करते हुए कहा कि वह अपराध को दोहरा सकते हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एनजी दवे ने जनवरी में दायर की गई हार्दिक की याचिका खारिज कर दी। अहमदाबाद पुलिस के उनके खिलाफ एक आरोपपत्र दाखिल करने के बाद यह याचिका दायर की गई थी। न्यायाधीश ने अभियोजन की इस दलील को स्वीकार किया कि हार्दिक रिहा होने पर इसी तरह की गतिविधियों में संलिप्त हो सकते हैं। न्यायाधीश ने इस बात का जिक्र किया कि उनके द्वारा हिंसक आंदोलन किए जाने से पिछले साल 40 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। हार्दिक के वकील दिनेश चौधरी ने बताया कि वह हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे। अधिवक्ता चौधरी ने दलील दी कि राजद्रोह एक औपनिवेशिक कानून है, जिसे ब्रिटिश शासकों ने स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज दबाने के लिए लागू किया था और इसे पटेल नेता के खिलाफ गलत तरीके से लगाया गया है, जो सिर्फ अपने समुदाय के लिए लड़ रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि हार्दिक की बातचीत को रिकॉर्ड करने वाली पुलिस इसे आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जोड़ पाने में नाकाम रही है। हार्दिक और तीन अन्य लोगों पर आईपीसी की धारा 124-ए (राजद्रोह), 121-ए (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और 120 बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत आरोप लगाए गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को मनवाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते हिंसा भड़काई।