अहमदाबाद: गुजरात में लिंगानुपात की स्थिति और खराब हुई है। राज्य में 2001 में प्रति 1000 पुरूषों के मुकाबले 920 महिलाएं थीं जबकि 2011 में यह संख्या कम होकर 919 रह गई है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर लिंगानुपात औसत में इस अवधि के दौरान 10 अंकों का सुधार हुआ है। राज्य विधानसभा में 2015-16 के लिए हाल में पेश की गई सामाजिक-आर्थिक समीक्षा में यह बात सामने आई है। समीक्षा में कहा गया है कि 943 के राष्ट्रीय आंकड़े की तुलना में गुजरात में 2011 में लिंगापुनात 919 था। 2011 की जनगणना के अनुसार इस लिंगानुपात के साथ गुजरात 28 राज्यों में 22वें स्थान पर है। हालांकि लिंगानुपात में सुधार के मामले में शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
समीक्षा में जनगणना का हवाला देते हुए कहा गया है, राज्य के ग्रामीण इलाकों में 2001 में प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले 945 महिलाओं की तुलना में 2011 में यह संख्या 949 हो गई यानी चार अंक का सुधार हुआ है, जबकि शहरी इलाकों में यह दोनों वषरें में 880 रही। इसमें कहा गया है कि तापी का आदिवासी जिला 1007 के लिंगानुपात के साथ पहले स्थान पर जबकि अन्य आदिवासी जिले डांग (1006) और दाहोद (990) क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे जबकि सूरत 787 के लिंगानुपात के साथ अंतिम स्थान पर रहा। अहमदाबाद में भी 904 के लिंगानुपात के साथ बेहद खराब स्थिति है। समीक्षा में कहा गया है कि सूरत एवं अहमदाबाद में लिंगानुपात की स्थिति बिगड़ने का एक अहम कारण राज्य के भीतर और बाहर ग्रामीण इलाकों से लोगों का शहरी इलाकों में बसना है। इसमें कहा गया है, राज्य में बड़ी संख्या में शहरी आबादी रहती है जिसका असर पूरे भारत के लिंगानुपात की तुलना में गुजरात में कम लिंगानुपात में देखने को मिलता है। वयस्कों के लिंगानुपात की स्थिति बिगड़ने के विपरीत गुजरात में पहली बार बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर बाल लिंगानुपात में आठ अंक की गिरावट आई है, जबकि गुजरात में सात अंक का सुधार आया है।