नर्ई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): तेलंगाना में विधानसभा की 119 विधानसभा सीटें हैं। यहां 2290 कैंडिडेट इस बार चुनावी मैदान में हैं। सूबे में 30 नवंबर को सभी सीटों पर मतदान होगा। तेलंगाना में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे ये सवाल और बड़ा हो रहा है कि आखिर 3 करोड़ से ज्यादा मतदाता किसको तेलंगाना का निजाम सौंपेगे? इस बीच राजनीतिक रणबांकुरों के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। सत्ता की लड़ाई अब व्यक्तिगत हमलों तक पहुंच गई है।
पीएम मोदी कांग्रेस और केसीआर पर हमलावर
शनिवार (25 नवंबर) को राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और ओवैसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यार बताया था, जिस पर ओवैसी ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने जवाब में कहा, “राहुल गांधी के दो प्यार, एक इटली और दूसरा पीएम मोदी।” इसके अलावा यहां पर भ्रष्टाचार, महंगाई व बेरोजगारी की सियासत भी आसमान पर है।
पीएम मोदी तेलंगाना की जनसभाओं में केसीआर और कांग्रेस पर जमकर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने सीएम चंद्रशेखर राव पर हमला बोलते हुए पूछा कि क्या तेलंगाना को ऐसे सीएम की जरूरत है, जो लोगों से न मिले।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हो या बीआरएस, उनकी पहचान भ्रष्टाचार, परिवारवाद और खराब कानून-व्यवस्था है और वे एक-दूसरे की कार्बन कॉपी हैं। उन्होंने कहा, "कांग्रेस, केसीआर एक समान, दोनों से रहो सावधान।" वहीं, कांग्रेस के लिए मोदी ने कहा कि, “कांग्रेस ने किसान, जवान और नौजवान सबको लूटा है।”
राहुल भी केसीआर पर लगा रहे आरोपों की झड़ी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव पर हमला करते हुए कहा कि ये दोनों नेता आपस में मिले हुए हैं। अगर सीएम केसीआर पीएम मोदी के साथ खड़े नहीं हैं, तो उन पर केस क्यों नहीं लगे? उनका घर क्यों नहीं लिया? जबकि मेरी लोकसभा की सदस्यता रात 2 बजे रद्द कर दी गई और घर भी छीन लिया गया। साथ ही यह भी कहा कि ओवैसी और केसीआर मोदी के करीबी हैं।
ओवैसी के निशाने पर बीजेपी और कांग्रेस
दूसरी ओर ओवैसी सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। रविवार (26 नवंबर) को राहुल पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने कहा कि, राहुल गांधी के जीवन के दो प्यार हैं- एक इटली और दूसरा पीएम मोदी। राहुल गांधी का एक प्यार इटली इसलिए है, क्योंकि उनकी मां वहीं से हैं और दूसरा पीएम मोदी इस वजह से हैं, क्योंकि वह उनको सत्ता देते हैं।"
कांग्रेस की ओवैसी से 'दुश्मनी' की वजह
ओवैसी बीजेपी के विरोधी हैं, लेकिन फिर भी बार-बार कांग्रेस ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाती रहती है। कांग्रेस और ओवैसी की सियासी दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। इसके पीछे की वजह है, मुस्लिम वोट बैंक। कांग्रेस के पास मुस्लिम वोट बैंक लगभग हर राज्य में है, लेकिन पिछले कुछ साल में ओवैसी की पार्टी तेलंगाना से बाहर दूसरे राज्यों में भी इस वोट बैंक में सेंध लगा रही है। इसका फायदा बीजेपी को मिल जाता है। वहीं, बात तेलंगाना की करें तो यहां मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 45 लाख है, जो कि तेलंगाना की कुल आबादी का करीब 13% हैं। तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से 45 सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका रखते हैं। तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम सिर्फ हैदराबाद सिटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव लड़ती है। बाकी सीटों पर वह बीआरएस का समर्थन करती है। इस बार भी यही स्थिति है। इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी सिर्फ 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में मुस्लिम वोट बैंक बचाने और बीआरएस को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस लगातार ओवैसी पर हमला बोल रही है।
इस बार हाथ से मौका जाने नहीं देना चाहती कांग्रेस
बता दें कि कई एग्जिट पोल में दावा किया गया है कि इस बार कांग्रेस तेलंगाना का रण जीत सकती है। उसका सीधा मुकाबला बीआरएस से है और वह उसे कड़ी टक्कर देती दिख रही है। 119 विधानसभा वाले तेलंगाना में कांग्रेस को 2014 विधानसभा चुनाव में 21 सीट मिली थी, जबकि 2018 में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की। 2018 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 2.71 फीसदी वोट मिले थे। कई सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था। ऐसे में कांग्रेस इस बार किसी भी तरह ओवैसी की पार्टी को वह मौका नहीं देना चाहती है।