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हैदराबाद: हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पिछले चार दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे सात छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर से जबरन हटा दिया गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों की बिगड़ती हालत को देखते हुए पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। हलांकि छात्रों ने इसका विरोध किया, लेकिन पुलिस हड़ताली छात्रों को वहां से हटाने में कामयाब रही। पुलिस ने यह कार्रवाई शनिवार को की। हड़ताल पर बैठे छात्र इस मामले में केंद्रीय मंत्री बडारू दत्तात्रेय, विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव तथा अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि रोहित की खुदकुशी के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं, जिसने पहले निलंबन और फिर निष्कासन से हताश होकर यह कदम उठाया।

यहां तक कि उसे पिछले सात महीने से शोध अनुदान के तौर पर मिलने वाली राशि भी नहीं मिली थी। सामाजिक न्याय संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने कहा कि तीन छात्रों को मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया है, जिनकी हालत गंभीर है, जबकि चार अन्य को एक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। जेएसी ने छात्रों को जबरन विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकालने की निंदा करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि प्रशासन अपनी फांसीवादी विचारधारा के खिलाफ जंग से डर गया है। विभिन्न छात्र संगठनों के इस समूह (अम्ब्रेला ग्रुप) का कहना है कि जब तक रोहित के परिवार को न्याय नहीं मिल जाता, वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।

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