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नई दिल्‍ली: कांग्रेस हाईकमान की ओर से लगातार दिए जा रहे संकेतों के बावजूद पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू 'चुप' होने का नाम नहीं ले रहे। उनके ट्वीटों का सिलसिला लगातार जारी है और ऐसा लगता है कि उनका निशाना अभी भी राज्‍य के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह हैं। नवजोत को पंजाब राज्‍य कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद उम्‍मीद की जा रही थी कि दोनों कद्दावर नेताओं के बीच बयानबाजी पर विराम (कम से कम विधानसभा चुनाव तक) लग जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सिद्धू अभी भी परोक्ष रूप से 'कैप्‍टन' पर वार करने से नहीं चूक रहे। इन ट्वीट्स से पंजाब कांग्रेस में चल रहा विवाद और बढ़ने की आशंका है और इसका असर विधानसभा चुनावों में पार्टी को उठाना पड़ सकता है।

सिद्धू ने ताजा दो ट्वीट बिजली दर को लेकर किए हैं, उनकी मंशा भले ही 'साफ' हो, लेकिन ट्वीट से ऐसा लग रहा है मानो वे पंजाब सरकार को 'निर्देश' दे रहे हों। पहले ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, 'पंजाब सरकार को सार्वजनिक हित में पीएसईआरसी को यह निर्देश जारी करने चाहिए कि प्राइवेट पावर प्‍लांट्स को किए जा रहे शुल्‍क को संशोाधित करे। दोषपूर्ण पीपीए को शून्‍य घोषित किया जाए।

दोषपूर्ण पीपीए को खत्‍म करने और एक नया कानून लाने के लिए पांच से सात दिन का विधानसभा सत्र बुलनाया जाना चाहिए।' इस मुद्दे पर किए गए एक अन्‍य ट्वीट में पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने लिखा, 'इससे पंजाब सरकार को 'सामान्‍य श्रेणी सहित सभी घरेलू उपभोक्‍ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने में मदद मिलेगी। घरेलू टैरिफ को घटाकर तीन रुपये प्रति यूनिट और इंडस्‍ट्री के लिए पांच रुपये प्रति यूनिट...इसके साथ ही सभी बकाया बिलों के समाधान और अनुचित बिलों को माफ करने में सहायता मिलेगी।

गौरतलब है कि सिद्धू इससे पहले राज्‍य में गन्‍ने की स्‍टेट अशोयर्ड प्राइज (एसएपी)को लेकर ट्वीट कर चुके हैं। उन्‍होंने लिखा था, 'गन्‍ना किसानों के मुद्दे को सौहाद्रपूर्ण ढंग से तत्‍काल हल किए जाने की जरूरत है। यह अजीब है कि पंजाब में खेती की लागत ज्‍यादा होने के बाद भी एसएपी हरियाणा-यूपी-उत्‍तराखंड की तुलना में कम है। कृषि के प्रथम प्रदर्शक के रूप में पंजाब में एसएपी बेहतर होनी चाहिए।' उन्‍होंने लिखा था-गन्‍ना किसानों के लिए एसएपी वर्ष 2018 के बाद से नहीं बढ़ा है, जबकि इनपुट लागत में 30 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। पंजाब मॉडल के मायने हैं उचित मूल्‍य के लिए नीतिगत हस्‍तक्षेप, मुनाफे में समान हिस्‍सेदारी, उत्‍पादन में विविधीकरण और किसानों और गन्‍न्‍ना मिल दोनों के लिए अधिक लाभ। एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, 'किसानों की मांग के अनुरूप एसएपी तत्‍काल प्रभाव से बढ़ाई जानी चाहिए और बकाया जारी किया जाना चाहिए।' बाद में सीएम अमरिंदर सिंह ने राज्‍य में गन्‍ना की एसएपी बढ़ाने को एलान किया था।

 

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