नई दिल्ली: मणिपुर विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुकी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने आज (शनिवार) कहा कि चुनाव के लिए उनकी कोई ‘‘विशिष्ट योजना’’ नहीं है और उनकी एकमात्र रणनीति अपने राज्य के ‘‘लोगों के दिलों से जुड़ना’’ है। अपना अनशन तोड़ने के बाद शर्मिला पहली बार दिल्ली में हैं। उन्होंने कहा कि अफस्पा मुद्दे पर वह कल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह को संबोधित करेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से अफस्पा को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चुनावी राजनीति बदलाव के लिए एक और लोकतांत्रिक औजार है। इसलिए मैंने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। लेकिन मेरी कोई विशिष्ट योजना नहीं है और मेरी एकमात्र रणनीति लोगों के दिलों से जुड़ना है।’’ वह एक संवाददाता सम्मेलन से इतर बोल रही थीं।
संवाददाता सम्मेलन का आयोजन महिला अधिकार संगठनों के समूह द्वारा किया गया था।