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इंफ़ाल: मणिपुर विधानसभा के एक दिवसीय सत्र की बैठक आज बुलाई गई थी। विधानसभा की कार्रवाई शुरू होने के कुछ ही देर बाद हंगामे के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। दरअसल, कांग्रेस विधायक मानसून सत्र को पांच दिनों तक बढ़ाने की मांग कर रहे थे।

राज्य में करीब चार महीने से जारी हिंसा के बीच एक दिन के सत्र को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। विधानसभा का ये सत्र तीन महीने बाद हुआ और राज्य में मई महीने से जारी हिंसा में 170 लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में यह विधानसभा सत्र काफी मायने रखता था।

मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में विपक्ष के विधायकों ने कहा कि जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है। इस पर कम से कम पांच दिन चर्चा होनी चाहिए। राज्य के सभी 10 कुकी-जोमी विधायकों ने सत्र का बहिष्कार किया था। इनमें दो मंत्री भी शामिल हैं। कुकी-जोमी संगठन ने सरकार से सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की थी।

हिंसा में मारे गए लोगों के लिए रखा मौन

बता दें, सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट के मौन के साथ शुरू हुई। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हिंसा में मारे गए लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में उन लोगों के लिए शब्द अपर्याप्त लगते हैं, जिन्होंने संघर्ष में अपने परिजनों को खो दिया है।

चंद्रयान-3 की सराहना

वहीं, सदन ने संकल्प लिया कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सभी मतभेदों को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से दूर किया जाना चाहिए। इस दौरान, चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की भी सराहना की गई। सदन में मणिपुर से आने वाले और मिशन में शामिल वैज्ञानिक एन रघु सिंह को बधाई दी गई।

मजाक बंद करो...

इसके तुरंत बाद, कांग्रेस विधायक अपनी सीटों से जोर-जोर से नारे लगाने लगे। उन्होंने मजाक बंद करो, चलो लोकतंत्र बचाएं का नारा लगाना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने मांग की कि राज्य की स्थिति पर चर्चा के लिए पांच दिवसीय सत्र आयोजित किया जाए। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह ने विपक्षी विधायकों से बैठने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने हंगामा जारी रखा। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही जैसे ही दोबारा शुरू हुई कांग्रेस विधायकों ने विरोध करना शुरू कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हंगामे के बीच सत्र जारी रखना संभव नहीं है। इसलिए सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाती है।

मणिपुर सरकार ने पिछले महीने 21 अगस्त तक सत्र बुलाने की सिफारिश की थी, लेकिन राजभवन से हरी झंडी नहीं मिलने पर इसे संशोधित करके 28 अगस्त को कर दिया गया था। मगर, बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय ने घोषणा करते हुए कहा कि विधानसभा 29 अगस्त से फिर से बुलाई जाएगी।

विधानसभा सत्र छलावा

बीते शनिवार को, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा था कि विधानसभा सत्र छलावा है और जनहित में नहीं है। एक दिन का सत्र बुलाने पर ओकराम ने कहा, 'मेरा अनुभव है कि जिस दिन श्रद्धांजलि दी जाती है, उस दिन किसी अन्य कार्य पर चर्चा नहीं की जाती। समिति के सदस्य के रूप में मैंने सुझाव दिया कि राज्य में अभूतपूर्व स्थिति पर चर्चा करने के लिए सत्र कम से कम पांच दिनों के लिए आयोजित किया जाना चाहिए। विपक्ष के पास सिर्फ चार या पांच सदस्य हैं। हम यहां सरकार की आलोचना करने नहीं आए हैं, बल्कि जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने आए हैं।'

 

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