इंफाल: मणिपुर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 38 सीटों के लिए सोमवार को दोपहर 4 बजे तक 70 फीसद मतदान दर्ज किया गया है। अभी तक कंगपोकपी जिले में सबसे ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई है। कंगपोकपी में 61.30 फीसद वोट डाले गए हैं। वहीं इंफाल पूर्व में 46.11, इंफाल पश्चिम में 52.15, बिष्णुपुर में 50.48 और चुराचांदपुर में 40.37 फीसद मतदान हुआ है। पूर्वाह्न 11 बजे तक 12.09 लाख मतदाताओं में से 27.34 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। मतदान के दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सुबह 9 बजे तक 9.9 फीसदी मतदान की खबर थी।
इस बीच, राज्य के उप मुख्यमंत्री और एनपीपी नेता वाई जॉयकुमार सिंह ने कहा है कि अगर जनादेश खंडित आता है तो हम (एनपीपी) चुनाव के बाद गठबंधन के अपने विकल्प खुले रख रहे हैं। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इंफाल में बने एक बूथ पर जाकर मतदान किया। वोट डालने से पहले उन्होंने अपने घर पर पूजा अर्चना की। वोट डालने के बाद मुख्यमंत्री ने लोगों से बढ़-चढ़कर मतदान करने का अनुरोध किया।
इस चरण में 12 लाख से अधिक मतदाता 15 महिलाओं सहित 173 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। मतदान शाम चार बजे तक होगा। राज्य में 6.28 लाख महिलाएं, 5.80 लाख पुरुष और 175 ट्रांसजेंडरों सहित कुल 12.09 लाख मतदाता 1,721 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। पहले चरण में शामिल 38 विधानसभा क्षेत्रों में से 10 इंफाल पूर्व में, 13 इंफाल पश्चिम में, छह बिष्णुपुर में, छह चुराचांदपुर में और तीन कांगपोकपी जिले में हैं। मणिपुर में कुल 60 सीटें हैं। मतगणना 10 मार्च को होगी।
चुनाव आयोग के मुताबिक, मणिपुर में कुल उम्मीदवारों में से 39 का आपराधिक इतिहास है। भाजपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस के 35 और जेडीयू ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
साथ ही पहले चरण में 5,80,607 पुरुष, 6,28,657 महिलाएं और 175 ट्रांसजेंडर मतदाताओं सहित कुल 12,09,439 मतदाता हैं, जो 1,721 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
विकास, उग्रवाद, नशीली दवाओं का अवैध व्यापार, सशस्त्र बल (स्पेशल पॉवर) अधिनियम, 1958 (अफस्पा) का निरसन, महिला सशक्तिकरण, बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर राजनीतिक दलों ने अपना प्रचार अभियान चलाया।
इस चुनाव में मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी एन बीरेन सिंह, उनके कैबिनेट सहयोगी थोंगम विश्वजीत सिंह, एनपीपी प्रत्याशी व उप मुख्यमंत्री युमनाम जॉयकुमार सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता थोकचोम सत्यब्रत सिंह, कांग्रेस के रतनकुमार सिंह, लोकेश्वर सिंह, शरतचंद्र सिंह, मौजूदा पार्टी विधायक अकोइजम मीराबाई देवी का भाग्य दांव पर लगा है।
फायरब्रांड महिला नेता और जनता दल (यूनाइटेड) की उम्मीदवार थौनाओजम बृंदा, जो कि पुलिस मुख्यालय में अतिरिक्त अधीक्षक थीं पहले चरण में शामिल यास्कुल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं।
भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय विधानसभा में 21 सीटें हासिल की थीं और पहली बार मणिपुर की सत्ता हासिल की थी। भाजपा ने चार एनपीपी विधायकों, चार नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाई थी। हालांकि इस बार भाजपा, एनपीपी और एनपीएफ अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इन दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
मेघालय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार की प्रमुख पार्टी एनपीपी 2017 से पूर्वोत्तर के राज्यों मेघालय और मणिपुर में भाजपा की सहयोगी रही है। इसने अपने 38 उम्मीदवार खड़े किए हैं, जबकि भाजपा ने मणिपुर की सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
कांग्रेस ने लगातार 15 वर्षों (2002-2017) तक राज्य पर शासन किया था। साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटें हासिल की थीं और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इस बार उसने चार वाम दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करके मणिपुर प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष गठबंधन (एमपीएसए) का गठन किया है। इसमें चार वामपंथी दलों के अलावा जनता दल-सेक्युलर भी कांग्रेस के साथ है।