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नई दिल्ली (नरेन्द्र भल्ला): कनाडा और भारत के आपसी रिश्ते अब तक के अपने सबसे मुश्किल दौर में पहुंच गए हैं। कनाडा ने जिस तरह से भारत पर आरोप लगाये हैं,भारत ने भी उसी भाषा में कनाडा को जवाब दिया है। लेकिन राजनयिक हलकों में सवाल ये उठ रहा है कि दोनों देशों के बीच जिस तेजी से कड़वाहट बढ़ती जा रही है,उससे आगे बात बनेगी या बिगड़ेगी? इसलिये कि यहां मामला एकतरफा नहीं बल्कि दोतरफा है और अगर खटास बढ़ती गई,तो कई क्षेत्रों में दोनों ही देशों को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दरअसल,भारत और कनाडा के रिश्तों का दायरा कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। यही कारण है कि इन संबंधों में खटास आने का असर इन क्षेत्रों पर पड़ सकता है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार लगभग 4 लाख 27 हज़ार भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं। अन्य देशों की तुलना में भारतीय छात्रों की संख्या कनाडा में सबसे अधिक है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले तीन सालों में कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या घटी नहीं है बल्कि सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इसमें बढ़ोतरी हुई है।

मोटे अनुमान के हिसाब से इस समय कनाडा में लगभग 30 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। जाहिर है कि ये देश प्रवासी भारतीयों के लिए एक बड़ा ठिकाना बन गया है। साल 2021 में हुई जनगणना के मुताबिक वहां सिखों की आबादी 2.1 प्रतिशत है। यानी भारत के बाद कनाडा ही सिखों का दूसरा बड़ा घर बन चुका है।

कनाडा के पेंशन फंड्स में भारत ने किया है भारी निवेश

दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की बात करें, तो कनाडा के पेंशन फंड्स ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया हुआ है।आंकड़े दर्शाते हैं कि पेंशन फंड्स से भारत में लगभग 75 अरब कैनेडियन डॉलर का निवेश किया गया है। फिलहाल भारत में 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि एक हजार से अधिक कंपनियां भारतीय बाजारों में व्यापार करती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत और कनाडा के बीच व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 19 फ़ीसदी की बढ़त देखी गई। इसके अलावा कनाडा से भारत के निर्यात की दर में भी नौ फीसदी की वृद्धि हुई है।

पिछले कई सालों से चली आ रही दोनों देशों की दोस्ती में खटास आने का मामला कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की पिछले साल हुई हत्या से शुरू हुआ था, जिसमें कनाडा ने भारत की भूमिका पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाए थे। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में बयान देते हुए कहा था कि कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने के सबूत सामने आए हैं।

हालांकि भारत ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कनाडा को भारत-विरोधी शक्तियों को शरण न देने की सलाह दी थी। अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले निज्जर को भारत ने आतंकवादी घोषित कर दिया था। उसी दौरान भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को निलंबित कर दिया था। हैरानी ये भी है कि हत्या के मामले में इतना सनसनीखेज आरोप लगाने वाले कनाडा ने अभी तक भारत सरकार को कोई सबूत नहीं दिया है।

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