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(आशु सक्सेना): पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव नतीजे आ गये हैं। भाजपा इन राज्यों में जीत का जश्न मना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय आयोजित एक समारोह में तीनों राज्यों में पार्टी की जीत के लिए कार्यकर्ताओं को बधाई दी। जबकि हकीकत इसके एकदम विपरित है।

भाजपा पूर्वोत्तर के दो राज्यों त्रिपुरा और नगालेंड में गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी और उसका पार्टी को फायदा भी हुआ। त्रिपुरा में भाजपा ने 55 और नगालेंड़ में 20 सीट पर चुनाव लड़ा था। इन दोनों राज्यों भाजपा ने सत्ता में वापसी ज़रूर की है। लेकिन त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन को 11 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं मेघालय में भाजपा ने किसी के साथ गठबंधन नहीं किया था और पार्टी ने सूबे की 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। यहां उसे महज 2 सीटें मिलीं। जबकि पीएम मोदी ने मेघालय में ताबड़तोड़ रैलियों के अलावा रोड़ शो भी किया था। बावजूद इसके भाजपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा। इससे यह संकेत साफ है कि किसी बड़े क्षेत्रीय दल के सहयोग के बिना भाजपा कोई चमत्कार नहीं कर सकती।

(आशु सक्सेना): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुह प्रदेश गुजरात के विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान अगले सप्ताह होना तय है। संभवत: सूबे में आचार संहिता लागू होने से पहले भाजपा के स्टार प्रचार पीएम मोदी का सरकारी खर्चे पर आखिरी चुनावी कार्यक्रम का समापन देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर को होगा। इत्तफाक से यह दिन देश की पहली महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंद्रिरा गांधी की शाहदत का दिन भी है। भाजपा के स्टार प्रचार पीएम मोदी का राजनीतिक भविष्य काफी हद तक गुजरात विधानसभा चुनाव नतीज़ों पर टिका हुआ है।

पीएम मोदी की चिंता यह है कि केंद्र की बागड़ोर संभालने के बाद हुए सूबे के पहले विधानसभा चुनाव में उनके गृहराज्य के लोगों ने उन्हें बमुश्किल बहुमत के जादुई आंकड़े के कगार पर ला खड़ा किया है। यदि इस बार भी पीएम मोदी अपने सूबे के लोगों की नाराज़गी दूर करने में नाकामयाब रहे, तो इसका नतीज़ा 27 साल बाद सूबे से ना सिर्फ भाजपा की सत्ता से विदाई होगा बल्कि पीएम मोदी के लिए 2024 की राह भी मुश्किल कर देगा।

(आशु सक्सेना): उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव ने काफी लंबी राजनीतिक पारी खेली है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उन्होंने अपने धर्म निरपेक्ष राजनीति के उसूलों से कभी समझौता नहीं किया। अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा वाले उत्तर प्रदेश में 1993 से लेकर 2012 तक कई बार भाजपा को पराजित करने में सफलता हासिल की। हालांकि पिछले कई वर्षों से वे उम्र की वजह से राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं थे।

साल 2012 में अपनी सक्रिय राजनीति की आखिरी लड़ाई लड़ते हुए सपा अध्यक्ष के तौर पर मुलायम सिंह ने पार्टी को भारी जीत दिलाई थी और अपने बेटे अखिलेश यादव को सत्ता की कमान सौंपी थी। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्होंने बेटे अखिलेश यादव और भाई रामगोपाल यादव को सपा से निकालने का एलान कर डाला था। इसके बाद अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच टकराव का एक पूरा दौर चला, जो आज भी जारी है।

(मनोहर नायक) वह मेरा संयंत्र यानि मेरा ‘राष्ट्रीय ‘ ह्रदय ठीकठाक काम कर रहा है … स्वतंत्रता की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर वह सहज ख़ुश था… पर यह उसके ठीकठाक होने का अधूरा लक्षण ही होता अगर वह स्वतंत्रता के आज के हाल-हवाल पर विषाद से भरा न होता… बल्कि हुआ यूँ कि यह विषाद धीरे- धीरे संयंत्र की अधिकाधिक जगह घेरता गया ।आज सुबह उठते ही याद आया कि आज स्वतंत्रता- दिवस है ,अमृत- वर्ष वाला … सहज ही पिता सहित ज्ञात-अज्ञात सेनानियों के प्रति मन सम्मान और कृतज्ञता से भर आया… उस भारत- माता का प्रेममय स्मरण हुआ जिसका बखान करते हुए जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि भारत-माता का मतलब है इस देश के नदी, पहाड़, जंगल, खेत- खलिहान, धरती , आकाश, समुद्र और यहाँ रहने वाली जनता … इस अवाम के बिना बाक़ी किसी चीज़ का कोई अर्थ नहीँ।

अंतत: लगने लगा कि एक ख़ास अवसर की ख़ुशी अपनी जगह ठीक है पर आज के दारुण समय में हा-हा-हो-हो जश्न का क्या औचित्य! पिछले कुछ सालों में बना- बनाया और बनता हुआ कैसा बिखेर दिया गया है… सब कुछ विपर्यस्त है… आम जीवन अभावों , शोषण और दुश्चिंताओं से आक्रांत है ,ऐसे में यह उजाड़ पर उत्सव जैसा कुछ लगता रहा।

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