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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने असम के गरीबों के लिये करोड़ों रूपए की कल्याणकारी योजना के लिये मुख्यमंत्री तरूण गोगोई को अपनी स्वीकृति देने से यह कहते हुये इंकार कर दिया है कि पहले उन्हें सार्वजनिक कोष से वितरित की जाने वाली नकद राशि के लाभान्वितों की पहचान का पैमाना निर्धारित करने की आवश्यकता हैं । प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे जारी रहने की अनुमति नहीं देंगे। आपको पहले गरीबों में उन जरूरतमंदों की पहचान का पैमाना निर्धारित करना होगा जिन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत सार्वजनिक कोष से नकद राशि दी जायेगी।’’ पीठ ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट को योजना दिखाइये और उसकी स्वीकृति हासिल कर लीजिये। यह सब होने तक आपको किसी भी कल्याणकारी योजना के तहत कोई राशि वितरित नहीं करनी चाहिए।

यह चुनावी वर्ष है। इसी वजह से आप इस तरह से धन वितरित करने जा रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने याचिका पर असम सरकार और पंचायत और ग्रामीण विकास तथा कृषि मामलों को देखने वाले उसके विभागों को नोटिस जारी किये हैं। इन सभी से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘राज्य में चुनाव होने वाले हैं और यह सब क्या हो रहा है? जरूरतमंदों की पहचान के लिये कुछ बुनियादी पैमानों के बगैर ही कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से हजारों करोड़ रूपए वितरित किये जा रहे हैं। आप कैसे चयन करेंगे कि असम के लाखों गरीबों में कौन सबसे अधिक जरूरतमंद हैं।’’

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