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गुवाहाटी: असम में विपक्ष की आलोचना और प्रदर्शन के बीच पुलिस ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखी है। बीते कुछ दिनों में 3000 से ज्‍यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच बाल विवाह पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने कुछ चुभने वाले सवाल उठाए हैं, जिसने बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए कठिन कानून के तहत आरोपों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। इन अपराधों के आरोपियों को पुलिस ने अस्थायी जेलों में रखा गया है, जिसका महिलाएं विरोध कर रही हैं, क्‍योंकि वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं।

पुलिस की कार्रवाई पर इसलिए भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि वर्षों पुराने मामलों को खत्म कर दिया है। वहीं, विशेषज्ञों ने बाल विवाह के मामलों में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण या पॉक्‍सो अधिनियम को लागू करने की वैधता पर भी संदेह जताया है। पॉक्सो कानून के तहत आरोपित नौ लोगों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए, जिनमें से एक मामले में न्यूनतम 20 साल की सजा हो सकती है, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनमें हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता हो।

न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने लीगल न्यूज वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक कहा, "पॉक्‍सो आप कुछ भी जोड़ सकते हैं। यहां पॉक्‍सो [आरोप] क्या है? केवल इसलिए कि पॉक्‍सो को जोड़ा गया है, क्या इसका मतलब यह है कि न्यायाधीश यह नहीं देखेंगे कि क्या है? हम यहां किसी को बरी नहीं कर रहे हैं। कोई भी आपको जांच करने से नहीं रोक रहा है।" कोर्ट ने एक अन्‍य केस की सुनवाई के दौरान कहा, "क्‍या यहां कोई बलात्‍कार के आरोप हैं?

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा था कि अगले विधानसभा चुनाव तक सामाजिक कुरीति बाल विवाह के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी, जिस पर विपक्षी खेमे ने विरोध जताया और इस मुहिम को "जल्दबाजी में चलाया गया प्रचार का हथकंडा" बताया। अधिकारियों ने कहा कि ये गिरफ्तारियां समूचे राज्य में दर्ज 4,074 प्राथमिकियों के आधार पर की गई हैं। पुलिस ने एक बयान में कहा कि कम से कम 139 लोगों को विश्वनाथ जिले में पकड़ा गया। इसके बाद बारपेटा में 130 और धुबरी में 126 लोगों को पकड़ा गया।

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