लखनऊ: बीएसपी सुप्रीमो मायावती की लखनऊ में आयोजित रैली में मची भगदड़ में कम से कम 2 महिलाओं की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हुए हैं। इस भगदड़ के बाद कई बच्चे लापता बताए जा रहे हैं। घायलों को प्राथमिक उपचार देने के बाद रैली स्थल के पास स्थित विभिन्न अस्पतालों में भेजा गया। वहीं सीएम अखिलेश यादव ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए दो लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। पुलिस ने बताया 'सीढ़ियों पर बने दो द्वारों में से एक से लोग नीचे आ रहे थे और संतुलन बिगड़ने से एक दूसरे के ऊपर गिर पड़े। घटना में बिजनौर की 68 वर्षीय शांति देवी और एक अन्य अज्ञात महिला की दम घुटने से मौत हो गई।' वहीं बीएसपी के एक प्रवक्ता ने बताया कि बिजली का तार कटने की अफवाह के चलते वहां भगदड़ मच गई। इससे पहले एक महिला की मौत की खबर आई थी। हालांकि बीएसपी के प्रदेशाध्यक्ष राम अचल राजभर का कहना है कि महिला की मौत की वजह उमस है न कि किसी तरह की भगदड़। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक एवं दलित नेता कांशीराम की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर लखनऊ में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ग्राउंड पर कांशीराम स्मारक के पास रैली का आयोजन किया गया था। हालांकि भगदड़ के बाद रैली को बीच में ही रोक दिया गया। मायावती की अब तक की इस सबसे बड़ी रैली में एक लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे। वहीं बीएसपी ने जानकारी दी थी कि रैली में लोगों को लाने के लिए 18 ट्रेनें बुक कराई गई है और हर विधानसभा क्षेत्र से 5000 लोग आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी मायावती ने अपनी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके वादे खोखले साबित हो गए हैं।
केंद्र ने भी यूपी के विकास पर ध्यान नहीं दिया। इसके साथ ही मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित राज्यों में दलितों का उत्पीड़न हुआ और मुसलमानों के साथ पक्षपात वाला रवैया अपनाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय ख़ौफ में जीने को मजबूर हैं। देश में लोकसभा के चुनावों में मोदी और बीजेपी द्वारा किए गए वादे जुमले और हवा हवाई वादे बनकर रह गए। गोरक्षा के नाम पर दलितों का भी अब उत्पीड़न हो रहा है। इससे पहले वर्ष 2002 में लखनऊ में ही आयोजित बीएसपी की एक रैली के बाद चारबाग रेलवे स्टेशन पर पार्टी के कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे गए थे और 22 घायल हो गए थे।